शिमला: आज शिमला में राज्य स्तरीय उपयोगकर्ता सम्मेलन का आयोजित किया गया। जिसमें मौसम से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इसमें विशेष तौर से मौसम विभाग का एक माह पूर्वानुमान किसानों की कसौटी में खरा नहीं उतरा इस पर चर्चा हुई। एक माह के पूर्वानुमान न तो सटीक बैठे और न ही वह इसके आधार पर कृषि प्रबंधन किया जा सका।
15 दिन के पूर्वानुमान से किसान लाभ उठा रहे हैं। ओलावृष्टि और कोहरे की पूर्व सूचना देने की व्यवस्था करने का मामला भी उठाया गया। मौसम विभाग शिमला, कुल्लू और डलहौजी में तीन रडार लगाएगा ताकि किसानों और बागवानों को कुछ तत्काल की मौसम संबंधित जानकारी दी जा सके।
राजस्व विभाग और डीएमसी के विशेष सचिव डीसी राणा ने इस मौके पर कहा कि एडवाइजरी कैसे बेहतर बनाएं, इसके लिए चर्चा करेंगे। मौसम विभाग का महत्व बढ़ रहा है। उत्तराखंड ने विश्व बैंक की मदद से मौसम सूचना तंत्र मजबूत किया है। डिप्टी डीजी डॉ. आनंद शर्मा ने कहा कि बाढ़, बादल फटने ओलावृष्टि जैसी कई समस्याओं से पहाड़ों के बागवानों और किसानों को जूझना पड़ता है। अभी नौ लाख किसान पंजीकृत हैं और मौसम विभाग की सूचनाओं का लाभ उठा रहे हैं। डॉ. एसपी भारद्वाज ने कहा कि रेडिएशन सूर्य से मिलती है और इससे मौसम तय होता है। बारिश, बर्फ और ओलावृष्टि से बागवानों और किसानों को नुकसान होता है। कोहरे से भी फसलों को मार पड़ती है। अगर मौसम के पूर्वानुमान से कोहरे का पता चल जाए तो नुकसान से बच सकते हैं। ओलावृष्टि और कोहरे की सूचना मिल जाए तो काफी राहत मिलेगी। डॉ. डीडी शर्मा मौसम विभाग ने अच्छे कार्य किए हैं। बागवान मौसम देखकर बगीचों में छिड़काव करते हैं। आईएमडी केंद्र शिमला के निदेशक मनमोहन ने जानकारी देते हुए कहा कि जून 2008 में पहली बार एडवाइजरी शुरू की गई।
सीपीआरआईए के डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि पूरे देश में मौसम विभाग के आंकड़ों को लेकर आलू की फसल बचाने के लिए कार्य कर रहे हैं।
फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि मौसम संबंधित जानकारी मिलने से बागवानों और किसानों को राहत मिली है। प्रोग्रेसिव ग्रोवर एसोसिएशन इस दिशा में अच्छा काम कर रही है।