केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन ने कहा ‘धन्यवाद हिमाचल’

  • भारत व तिब्बत की संस्कृति में बहुत समानता : राज्यपाल
  • निर्वासित तिब्बती समुदाय के 60 वर्ष पूरा होने पर केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन ने रिज मैदान पर आयोजित  किया ‘धन्यवाद हिमाचल’ कार्यक्रम

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत में ‘अतिथि देवो भव’की संस्कृति रही है। उदारता, प्रेम व सदभावना का संदेश देकर दुनिया की हर संस्कृति का हमने सम्मान किया है और यही भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान है।

राज्यपाल भारत में निर्वासित तिब्बती समुदाय के 60 वर्ष पूरा होने पर केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर आयोजित ‘धन्यवाद हिमाचल’कार्यक्रम के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भारत और तिब्बत की संस्कृति अभिन्न है और सदियों से हमारे व्यपारिक रिश्ते रहे हैं। निर्वासित तिब्बती समुदाय के लोग भारत में प्रेम, एकता व सद्भावना के साथ रह रहे हैं। यही वजह है कि हमने तिब्बती समुदाय को कभी भी अपने से अलग नहीं माना है। यह उनकी महानता है कि 60 वर्षों के अपने निर्वासन के लिए वह भारत के लोगों का आभार व्यक्त कर रहे हैं।

आचार्य देवव्रत ने कहा, ‘‘तिब्बती समुदाय की तीसरी पीढ़ी भारत की संस्कृति व भाषा को अपनाकर देश की प्रगति में योगदान दे रही है। इसलिए यह देश आपका उतना ही है, जितना भारत के लोगों का।’’ राज्यपाल ने कहा कि भारत की संस्कृति उदार रही है और इस देश ने विदेशी अक्रांताओं तक को अपनाया। तिब्बती लोग, जिनकी मूल संस्कृति बौद्ध धर्म से जुड़ी है और बौद्ध भिक्षुओं ने एकता, बन्धुत्व, प्रेम व भाई-चारे का संदेश दुनिया भर में दिया इसलिए, यह संस्कृति भारतीय संस्कृति से अलग नहीं है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जो बुनियादी सुविधा भारती मूल के लोगों को मिल रही हैं, वहीं सुविधाएं तिब्बती लोगों को भी प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दोनों ही संस्कृतियों का आपसी प्रेम व बंधुत्व भविष्य में भी कायम रहेगा।

राज्यपाल ने इस अवसर पर केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन द्वारा लगाई की प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

इससे पूर्व, बागवानी एवं सिंचाई व जन स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर महेन्द्र सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवभूमि है और हम अपने अतिथि को देव तुल्य समझते हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार तिब्बती समुदाय को हिमाचली ही मानते हैं। उन्होंने राज्यपाल के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे प्राकृतिक कृषि अभियान में तिब्बती समुदाय को भी जुड़ने का आह्वान किया।

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रेजिडेंट लोबसांग सांग्ये ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा कहा कि इन 60 वर्षों में भारत में उन्हें जो प्रेम, संरक्षण व अपनापन मिला है, वह भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह भावना आज भी कायम है, जिसके लिए तिब्बती समुदाय आभार व्यक्त करता है। उन्होंने भारत को अपना दूसरा घर बताया तथा कहा कि भारत की उच्च परम्पराओं और समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाने में तिब्बती समुदाय का भी योगदान है।

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