शिमला: कृषि विभाग द्वारा शिमला में कुफरी के एडवैंचर्ज रिजेार्टस के सभागार में शून्य लागत प्राकृतिक खेती के अंतर्गत आयोजित 5 दिवसीय किसान प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में पदमश्री सुभाष पालेकर ने प्रकृति की चार व्यवस्थाओं का जिक्र किया जो प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त होती है।
उन्होने बताया कि खाद्य चक्र, केशाकर्षण शक्ति, गुरूत्वाकर्षण शक्ति, चक्रवात व देसी केचुओं की गतिविधियां पहले से ही धरती में प्राकृतिक तौर अनन्त काल से काम कर रही है। परन्तु एक विदेशी षड़यन्त्र के तहत रासायनिक खादों के उपयोग तथा दूसरी गतिविधियों द्वारा यह व्यवस्था खराब कर दी गई है और किसान को रासायनिक खादों पर निर्भर बना दिया गया है। देशी गायों की नस्ल खत्म कर दी गई।
उन्होंने कहा 1.5 लाख साल पहले अक्समात ज्वालामुखियों द्वारा बॉसजनरा की तीन शाखाएं निकली। यह बॉसजनरा होलस्टीन व हमारी देसी गाय का जनक है। इन तीन शाखाओं में भारतीय अफ्रीकन गाय, जरसी होलस्टीन व याक आती है। भारतीय गाय जेबू परिवार का प्राणी है। इसको पहचानने के लिए 21 लक्ष्ण होते हैं। उन्होंने दावा किया कि जर्सी होलस्टीन में इनमें से एक भी लक्षण मौजूद नहीं है। फिर भी हम उन्हें पाल रहे हैं। यह विचारणीय विषय है। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों को कहा कि आपको कोई अधिकार नहीं है कि जर्सी होलस्टीन को किसानों पर थोपें। उन्होंने कहा कि देसी गाय 0 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक सहन करती है और जर्सी केवल 28 डिग्री सेल्सियस तक ही सहन कर पाती है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकण्डा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी, राज्य परियोजना निदेशक राजेश कंवर व कृषि निदेशक डॉ. देसराज सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति व अधिकारी भी उपस्थित थे।