न्यायमूर्ति सूर्य कान्त ने ली हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ

शिमला: न्यायमूर्ति सूर्य कान्त ने आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज भवन में आयोजित एक साधारण लेकिन गरिमापूर्ण समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी इस अवसर पर मौजूद रहे। समारोह का आयोजन दरबार हाल में किया गया जहां मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल ने भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी नियुक्ति अधिपत्र पढ़ा।

अध्यक्ष हि.प्र. विधानसभा डॉ. राजीव बिन्दल, प्रदेश मंत्रिमण्डल के सदस्य, हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, जस्टिस सूर्य कान्त की धर्मपत्नी, हि.प्र. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सेवानिवृत न्यायाधीश तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

  • न्यायमूर्ति सूर्य कान्त का जीवन परिचय

न्यायमूर्ति सूर्य कान्त का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के जिला हिसार में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। उन्होंने वर्ष 1977 में गांव के स्कूल से 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की और 1981 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हिसार से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 1984 में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जिला न्यायालय हिसार में 1984 में बतौर अधिवक्ता अपने करियर की शुरूआत की और 1985 में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। उनकी संविधान, सेवा तथा सिविल मामलों में विशेषज्ञता थी। बतौर अधिवक्ता उन्होंने अनेक विश्वविद्यलयों, बोर्डों, निगमों तथा बैंकों का प्रतिनिधित्व किया है। वह 7 जुलाई, 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव प्राप्त हुआ।

मार्च, 2001 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया। 9 जनवरी, 2004 में वह पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी जज नियुक्त किए गए। वह 23 फरवरी, 2007 को राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्रधिकरण के सदस्य नियुक्त किए गए और 22 फरवरी, 2011 तक इस पद पर रहे। कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से उन्होंने प्रथम श्रेणी में कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है।

विद्यार्थी जीवन से ही वह एक अच्छे वक्ता रहे हैं और पर्यावरण प्रेमी के नाते वह अनेक राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठनों तथा विधी संघों से जुड़े रहे। उन्होंने बहुत से राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया है।

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