शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में 6 अक्तूबर को आकाशवाणी संगीत सम्मेलन-2018

  • देश की अकेली संतूर वादिका श्रुति अधिकारी बिखेरेंगी अपनी कला का जादू

शिमला : संगीत की विविध विधाओं के प्रचार-प्रसार, संरक्षण और संवर्द्वन में आकाशवाणी की भूमिका अद्वितीय रही है। इस प्रयास में एक कदम और आगे बढ़ते हुए आकाशवाणी 6 अक्तूबर को देश के 24 विभिन्न शहरों में आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष संगीत सम्मेलन-2018 का आयोजन कर रहा है। इन संगीत सभाओं के माध्यम से देश के विभिन्न प्रान्तों के अलग-अलग घरानों के प्रख्यात कलाकार संगीत प्रेमियों का न केवल अपनी प्रस्तुति से दिल जीतेंगें अपितु वे उनसे सीधे रूबरू भी होंगे।

इस कड़ी में आकाशवाणी शिमला भी शनिवार 6 अक्तूबर को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में सांय 03:00 बजे सभा का आयोजन कर रहा है। इस संगीत सभा के मुख्य आर्कषण रहेंगे पुणे के प्रख्यात शास्त्रीय गायक सुहास व्यास जिन्होंने अपने पिता पदम भूषण पंडित सी.आर. व्यास के मार्गदर्शन में निपुणता प्राप्त की। यद्यपि वे तीन पारंपरिक घरानों ग्वालियर, आगरा और किराना से संबंध रखते है, परन्तु उनकी गायकी में एक अलग शैली है जिसमें उनके पिता की छाप झलकती है। साथ ही ग्वालियर घराने से संबधित देश के अग्रणी तथा अकेली संतूर वादिका श्रुति अधिकारी अपनी मनमोहक प्रस्तुति से पुरोषित कहे जाने वाले इस वाद्य पर अपनी कला का जादू बिखेरेंगी। इन्हें विश्वविख्यात संतूर वादक, और गुरू पद्मविभूषण पं. शिवकुमार शर्मा की शिक्षा और सत्त मार्गदर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ है। इन्होंने इस वाद्य में सफलता के कई कीर्तिमान रचे। इनके साथ संगत करते हुए ओमकारनाथ गुलवाड़ी तथा मिथिलेश झा तबले पर और परोमिता मुखर्जी हारमोनियम पर अपनी कला का जादू बिखेरेंगे। संगीत की इस विधा में रूचि रखने वाले कला प्रेमियों के लिए यह अवसर सुकून पैदा करने वाला होगा।

आकाशवाणी ने इसकी रिकॉर्डिग तथा प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया है ताकि इनके प्रति लोगों की आस्था तथा जन-साधारण के लिए हर पल तत्पर रहने के संकल्प को भी दोहराया जा सके। संगीत प्रेमियों की सुविधा एवम् मांग को देखते हुए आकशवाणी ने संगीत के दुर्लभ संकलन को सी.डी. के माध्यम से विक्रय के लिए विशेष सेल काउंटर लगाने का निर्णय भी लिया है, जिसमें ग्राहकों को विशेष छूट प्रदान की जाएगी। संगीत सभा में प्रवेश निशुल्क रहेगा।

  • संतूर वादक में सफलता के कई कीर्तिमान रच चुकी हैं श्रुति अधिकारी
  • श्रुति अधिकारी देश की ऐसी अकेली संतूर वादिका
  • विश्वविख्यात संतूर वादक और गुरू पद्मविभूषण पं. शिवकुमार शर्मा की शिक्षा और सत्त मार्गदर्शन

शिमला : श्रुति अधिकारी देश की ऐसी अकेली संतूर वादिका है जिन्होंने पुरूषोचित कहे जाने वाले इस वाद्य को अपनाकर महिला का मान बढ़ाया है। यह उनके अनथक श्रम के अतिरिक्त विश्वविख्यात संतूर वादक और गुरू पद्मविभूषण पं. शिवकुमार शर्मा की शिक्षा और सत्त मार्गदर्शन के कारण ही संभव हुआ है।

श्रुति नाम जहां संगीतधारय है, वहीं उनके संस्कार में संगीत समाहित है। ग्वालियर के यशस्वी संगीत घराने की उत्तराधिकारिणी संगीत गुरू और गायिका स्व. प्रो. संगीता कठाले और सुपरिचित सितार वादक स्व. डी.वाई. कठाले की पुत्री श्रुति, गायनाचार्य पंडित बाला भाऊ उमड़ेकर ‘कुण्डल गुरू’ की नातिन हैं। स्व. कुण्डलगुरू की कीर्ति ग्वालियर के आखिरी दरबार गायक की है। मातृ और पितृ पक्ष से उच्च सांगीतिक ज्ञान और सांगीतिक अभ्यास की जटिलताओं को सहज अंगीकार करने वाली श्रुति की शिक्षा दीक्षा भी आद्यांत सांगीतिक ही है।

पाँच वर्ष की आयु से श्रुति ने स्वयं को गायन, सितार, वादन, वायलिन वादन, तबला और संतूर के साथ कथक नृत्य का अभ्यास करते हुए पाया। भारतीय संगीत शास्त्र और उसकी बारीकियों की अकादमिक अधिकारी श्रुति ने कंठ संगीत में स्नातकोत्तर उपाधि जहां विशेष योग्यता के साथ अर्जित की, वहीं स्वर्ण पदक के साथ सितारे में ’कोविद‘ किया। तबला में ’प्रभकर‘ और वायलिन में ’विद‘ की उपाधियां विशेष योग्यता के साथ अर्जित की। उनका लक्ष्य यही है कि संगीत का कोई पक्ष ऐसा न छूटने पाए जो उनके लिए चुनौती बन सके। संगीत में नवोन्मेष, नवाचार और कुछ पृथक करने के लिए प्रतिश्रुत श्रुति ने अपनी आत्माभिव्यकित के लिए अंततः ’संतूर‘ के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय संगीत के मंच पर दस्तक देने का संकल्प किया, कहना न होगा कि उन्होंने इस वाद्य में सफलता के कई कीर्तिमान रचे।

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