उत्पादन बढ़ाने के लिए मिट्टी का परीक्षण जरूरीः संजीव

किसान मिट्टी परीक्षण आधार पर करें उर्वरकों का प्रयोग : कृषि निदेशक डॉ. देसराज

  • कृषि निदेशक का किसानों से आह्वान: मिट्टी के नमूने की जांच समय पर करवायें
  • मिट्टी परीक्षण के उपरान्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के आधार पर ही उर्वरकों का करें प्रयोग
  • मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग किये जाने से फसलोत्पादन में होती है वृद्धि

शिमला: मिट्टी स्वास्थ्य प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए जीपीएस प्रणाली के तहत मिट्टी के  नमूनों की जाँच की जा रही है, ताकि किसान मिट्टी परीक्षण के आधार पर खादों का सन्तुलित उपयोग व फसलों का चयन कर सकें। मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट किसानों को ‘मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड’ पर उपलब्ध करवाई जा रही है। यह कार्ड किसानों को निःशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

इसकी जानकारी देते हुए हिमाचल प्रदेश कृषि निदेशक डॉ. देसराज ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2015 से आरम्भ हुई, जिसका उद्देश्य फसलों में पोषक तत्वों की कमी की भरपाई, मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करना, हर किसान को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना, मिट्टी की उर्वरकता सम्बन्धित समस्याओं इत्यादि का निवारण करना है। भारत सरकार इस योजना की प्रगति की समीक्षा वैब आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल तथा साप्ताहिक विडियो कान्फ्रैंस के माध्यम से कर रही है।

इस योजना की समीक्षा करने हेतु भारत सरकार के उर्वरक विभाग द्वारा चलाई गई 17 पायलट ड़ीबीटी योजना जिलों में मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना की स्थिति की समीक्षा चार सदस्यीय केन्द्रीय टीम ने ऊना ड़ीबीटी जिले में 10-11 जनवरी, 2018 को की। इस समीक्षा के अनुसार मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की सिफारिश का उपयोग करके उर्वरक की खपत (मुख्य रुप से यूरिया 30-40) कम हो रही है। किसानों ने फसल चक्र में आलू की शुरुआत की जिससे उनके उत्पादन और आय में बढोत्तरी हुई। अब किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित सिफारिशों का उपयोग कर रहें हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के दूसरे चक्र के कार्यान्वयन में एक लाख मिट्टी के नमूने एकत्रित करने के लक्ष्य के मुकाबले 107701 नमूने एकत्रित करके परिक्षण किया गया है तथा प्रदेश मे कुल 960765 कृषक परिवारों मे से 625905 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर दिये गये हैं। जिला स्तर के अधिकारियों को यह लक्ष्य 31 मार्च, 2019 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये हैं ताकि सभी कृषकों को इस योजना से लाभान्वित किया जा सके।

डॉ. देसराज ने जानकारी देते हुए बताया कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग हेतु मिट्टी का परीक्षण अति आवश्यक है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग किये जाने से फसलोत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। अच्छी उपज के लिये यह आवश्यक हो गया है कि प्रमुख तत्वों के साथ-2 गौण एवं सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाये। किसानों की सुविधा के लिए प्रदेश में 9 स्वचालित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालायें, 11 अचल मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालायें व 47 मिनी प्रयोगशालायें भी उपलब्ध करवाई गई हैं।

डॉ. देसराज ने किसानों का आह्वान किया कि वह मिट्टी के नमूने की जांच समय पर करवायें तथा मिट्टी परीक्षण के उपरान्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के आधार पर ही उर्वरकों का  प्रयोग करें।

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