वर्तमान सरकार द्वारा समझौता ज्ञापन को पुनर्जीवित करने का निर्णय

  • प्रदेश मंत्रिमण्डल की बैठक में आनन्दपुर साहिब-नैना देवी रज्जू मार्ग पर हुई चर्चा व निर्णय का मसौदा

शिमला: हिमाचल प्रदेश तथा पंजाब के दो प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों, श्री आनन्दपुर साहिब से श्री नैना देवीजी तक रज्जू मार्ग निर्माण की प्रस्तावना दोनों राज्यों के बीच समय-समय पर विचाराधीन रही है तथा इस संबध में दोनों राज्यों के बीच  26 जुलाई 2012 को समझौता ज्ञापन (MOU) भी हस्ताक्षरित किया गया था। इस समझौता ज्ञापन को पुरानी सरकार ने वर्ष 2013 में रद्द कर दिया था तथा निर्णय लिया कि टोबा से नैना देवी के मध्य रज्जू मार्ग का निर्माण किया जाए। टोबा से नैना देवी के मध्य रज्जू मार्ग निर्माण हेतु NIT भी मंगवाई गई थी, परन्तु इसके लिए विभाग में कोई भी निविदा प्राप्त नहीं हुई थी।

वर्तमान सरकार द्वारा इस समझौता ज्ञापन को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है तथा मुख्यमन्त्री द्वारा यह मामला पंजाब के मुख्यमन्त्री के साथ उठाया गया था, जिसमें पंजाब सरकार द्वारा इस रज्जू मार्ग के निर्माण में अपनी इच्छा/सहमति प्रदान की गई है। इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन), हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पंजाब के पर्यटन मन्त्री नवजोत सिंह सिद्धू व अन्य पर्यटन अधिकारियों के साथ चर्चा की गई तथा चर्चानुसार समझौता ज्ञापन तैयार किया गया है, जिसे मंत्रीमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है।

आनन्दपुर साहिब-नैना देवी रज्जू मार्ग सम्बन्धी होने वाले समझौते ज्ञापन की मुख्य विषेशताएं

  • यह रज्जू मार्ग Design, Build, Finance, Operate and Transfer (DBFOT)के आधार पर निर्मित किया जाएगा।
  • इस रज्जू मार्ग का Lower Terminal Point (LTP) आनन्दपुर साहिब के समीप रामपुर (पंजाब), Lower Terminal Point (LTP) टोबा (हिमाचल प्रदेश) व Upper Terminal Point (UTP) नैना देवी (हिमाचल प्रदेश) में होंगे।
  • दोनों प्रदेश सरकारों की तरफ से इस परियोजना के निर्माण हेतु एक Joint Venture Special Purpose Vehicle (SPV) Private Limited Company, जिसका नाम श्री नैना देवीजी और श्री आनन्दपुर साहिबजी रज्जू मार्ग कम्पनी निजी सीमित या ऐसा नाम, जिसे कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत् कम्पनियों के पंजीयक द्वारा अनुमोदित किया जाता है, गठित की जाएगी, जोकि concessioning authority का काम करेगी। इस SPV का पंजीकृत कार्यालय शिमला में होगा।
  • इस SPV में दोनों सरकारों की समान भागीदारी होगी, जिसकी शुरूआती पूँजी (initial paid up capital)एक करोड़ होगी, जिसके लिए दोनों राज्य सरकार 50.50 लाख देगी।
  • इस SPV के निदेशक मण्डल में 10 निदेशक होंगें तथा दोनों राज्य सरकारें 5-5 निदेशक मनोनीत करेगी।
  • इस परियोजना के पर्यवेक्षण, निगरानी व प्रचालन हेतु दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति (Apex Committee) का गठन किया जाएगा, जो कि सर्वसम्मति से निर्णय लेगी।  इस समिति में दोनों सरकारों के मुख्य सचिव के इलावा सचिव (पर्यटन), सचिव (लोक निर्माण), सचिव (वित्त) व निदेषक, पर्यटन सदस्य होंगे।
  • दोनों राज्यों के निदेशक, पर्यटन की अध्यक्षता में क्रियान्वयन समिति (Implementation Committee) का भी गठन किया जाएगा, जो कि षीर्श समिति की सलाह से इस परियोजना के निर्माण / निगरानी हेतु आवश्यक कदम उठाएगी।  इस समिति में जिलाधीष रोपड़ (पंजाब), जिलाधीश बिलासपुर, तकनीक परामर्षदाता, पंजाब अधोसंरचना विकास बोर्ड, अधीक्षण अभियन्ता, हि.प्र. लोक निर्माण, अधीक्षण अभियन्ता, लोक निर्माण (रोपड़ व बिलासपुर वृत), हिमाचल प्रदेश अधोसंरचना विकास बोर्ड का प्रतिनिधि, वन मण्डल अधिकारी बिलासपुर व रोपड़ सदस्य होंगे। इस समिति के सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के अतिरिक्त निदेशक होंगे।
  • इस परियोजना की रियायत अवधि 40 वर्ष की होगी, जिसमें निर्माण के तीन वर्ष शामिल नहीं है।
  • चयनित Concessionaire को कुल रियायत अवधि 40 वर्ष में प्रथम सात वर्षों हेतु वार्षिक लाइसेंस शुल्क अदा न करने हेतु छूट होगी।
  • इस परियोजना हेतु लगभग 70% भूमि हिमाचल सरकार द्वारा तथा 30 भूमि पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई जानी है। अर्जित राजस्व दोनों प्रदेशों में 50:50 आधार पर बांटा जाएगा।
  • दोनों राज्यों के पर्यटन विभाग इस परियोजना हेतु Nodal Agency होंगे।
  • दोनों राज्य अपने-अपने क्षेत्राधिकार में वांछित भूमि के अधिग्रहण, तपहीज व right of way/right of use, compensatory aforestation/forest clearances/wild life de-notification आदि में होने वाले खर्च को स्वयं वहन करेंगे तथा वांछित भूमि को भारमुक्त concessioning authority को उपलब्ध करवाएंगे। इस पर वहन किये गये खर्च को Net Present Value सहित Concessionaire से लिया जाएगा।
  • दोनों राज्यों द्वारा परामर्षदाता की नियुक्ति SPV के गठन, सम्बन्धित दस्तावेज़ों को तैयार करने व प्रचार-प्रसार आदि पर होने वाले खर्च को प्रथमतः initial paid up capital से वहन किया जाएगा, जिसे बाद में चयनित Concessionaire से लिया जाएगा।
  • दोनों सरकारें Concessionaire को परियोजना हेतु बिजली, सुरक्षा व राज्य प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने में सुविधा प्रदान करेगी।
  • Concessionaire दोनों राज्यों के रज्जू अधिनियमों के अधीन रज्जू यात्रा मूल्य निर्धारित करेगा, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जा सकता है।
  • इस समझौता ज्ञापन की अवधि 40 वर्ष होगी, जिसे सहमति से बढ़ाया जा सकता है। इस समझौता ज्ञापन की शर्तों की अनुपालना क्रमागत् सरकारों पर बाध्यकारी होगी।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *