किन्नौर में चिलगोजा प्रजाति के संरक्षण के लिए जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

  • हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा चिलगोजा पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन
  • मूरंग एवं नेसंग ग्राम पंचायत के करीब 100 किसानों व बागवानों ने लिया भाग

शिमला : हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा 23 अगस्त को ग्राम पंचायत मूरंग एवं 24 अगस्त को ग्राम पंचायत नेसंग  जिला किन्नौर में चिलगोजा प्रजाति के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजना “मूरंग वन परिक्षेत्र,  चिलगोजा शंकुओं (Cones) का वैज्ञानिक विधि द्वारा तुड़ान” पर जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें ग्राम पंचायत मूरंग एवं नेसंग के लगभग 100 किसानों तथा बागवानों ने भाग लिया।

कार्यशाला के दौरान हिमालयन वन अनुसंधान की वैज्ञानिक डॉ. स्वर्ण लता ने बताया कि चिलगोजा जिला किन्नौर का परिस्थितिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से एक महत्वपूर्ण वृक्ष है तथा किन्नौर के लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत होने के साथ साथ उनके आहार एवं रीति–रिवाजों का भी अभिन्न अंग है। परन्तु चिलगोजा शंकुओं को एकत्रित करने के लिए की जाने वाली शाखाओं की अवैज्ञानिक तरीके से कटाई आज के समय में किन्नौर वन क्षेत्र की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। इन वृक्षों से चिलगोजा शंकुओं को एकत्रित करने के लिए शाखाओं की अनियंत्रित कटाई से न केवल इसका पुनर्जनन कम हो रहा है अपितु शंकुओं के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। अनियंत्रित कटाई से उत्पन्न समस्या के दूरगामी परिणामों से अधिकतर लोग परिचित नही हैं यदि यह स्थिति यथावत बनी रही तो वो दिन दूर नहीं जब यह वृक्ष इस क्षेत्र से लुप्त हो  जाएंगे और लोग इससे होने वाले लाभ से हमेशा के लिए वंचित हो जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने चिलगोजा शंकुओं को एकत्रित करने के लिए की जाने वाली शाखाओं की असंवहनीय तरीके से कटाई से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उचित उपकरण के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय  नेगी, जिला विकास प्रबंधक, राष्ट्रीय कृषि विकास बैंक किन्नौर कहा कि बैंक अपनी ओर से अपनी योजनाओं के माध्यम से किसानों तथा बागवानों की सहायता करने के लिए तत्पर रहता है व ग्रामीण विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस प्रशिक्षण से जिला किन्नौर के किसान तथा बागवान लाभान्वित होंगे तथा वैज्ञानिक विधि से चिलगोजा प्रजाति का दोहन करेंगे जिससे यह पौधा तथा इसके जंगल भविष्य में भी विद्यमान रहें। उन्होंने हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला की इस पहल  की सराहना की और यह भी कहा कि भविष्य में  भी बैंक इस तरह के प्रयास करता रहेगा। इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता, कुमारी रत्तन मंजरी नेगी ने कहा कि यह किन्नौर में रहने वाले हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे चिलगोजा जैसे अनमोल प्राकृतिक संसाधन की रक्षा के लिए स्वेच्छा से आगे आकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

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