प्रदेश विधानसभा बजट सत्र का 10वां दिन... पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से स्थापित होगी मेडिकल यूनिवर्सिटी

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, 5.05 बजे एम्स में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली: दिल्ली के एम्स अस्पताल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी करके ये जानकारी दी है। उनकी हालत काफी समय से गंभीर बनी हुई थी। एम्स ने जानकारी देते हुए कहा है कि आज शाम 5 बजकर पांच मिनट पर आज अंतिम सांस ली। आज सुबह से ही एम्स में बीजेपी और और अन्य दलों के तमाम दिग्गज नेताओं का पहुंचना जारी है। दोपहर दो बजे के करीब प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी एम्स पहुंचे।

  • पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे पास दुख जताने के लिए शब्द नहीं

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे पास दुख जताने के लिए शब्द नहीं हैं. मैं इस वक्त शून्य में हूं लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। अटल जी नहीं रहे। उन्होंने अपना एक एक पल देश को दिया।’

तीन बार बने प्रधानमंत्री

तीन बार बने प्रधानमंत्री

  • मुख्यमंत्री ने किया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दुःखद निधन पर शोक व्यक्त

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दुःखद निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने नई दिल्ली के एम्स में आज अंतिम सांस ली। वह 93 वर्ष के थे। अपने शोक सन्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि वाजपेयी एक महान राजनेता तथा दूरदर्शी नेता थे, जिनका देहावसान राष्ट्र के लिए एक महान क्षति है। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने हमेशा ही हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर माना है और कुल्लू जिले के प्रीणी में भी उनका घर है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग वाजपेयी जी की हिमाचल प्रदेश तथा यहां के लोगों के प्रति उदारता और विशेष लगाव को हमेशा याद करेंगे और उनका निधन हिमाचल प्रदेश राज्य के लिए निजी तौर पर एक बड़ी क्षति है।

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि साल के अधिकांश समय शेष विश्व से कटी रहने वाली दुर्गम लाहौल घाटी के लिये रोहतांग सुरंग के निर्माण का विचार 1998 में वाजपेयी जी के मन में आया था। उन्होंने इस परियोजना के निर्माण की घोषणा 3 जून, 2000 को की थी। उन्होंने कहा कि यह परियोजना पूरी होने के कगार पर है और यह राज्य के लिये वाजपेयी जी का सबसे बड़ा उपहार होगा।
  • उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार ने ही वर्ष 2003 में हिमाचल प्रदेश के लिये औद्योगिक विकास के लिये विशेष पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इससे राज्य में हजारों करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश हुआ और राज्य के लाखों युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। जय राम ठाकुर ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियानकी शुरूआत भी उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान की गई। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की शुरूआत इस राजनेता की मजबूत इच्छाशक्ति की उपज थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में व्यापार की जीवन रेखा सुनहरा चतुर्भुज’ (गोल्डन क्वाड्रिलेटरल) वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान अस्तित्व में आई। इसके अतिरिक्त भारत के पांच लाख गावों को बारह-मासी शहरों के साथ जोड़ने के लक्ष्य को लेकर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाविशेषकर हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, ‘विचारधारा के लिए समर्पित एक स्वयंसेवक व संगठन के एक अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में अटल जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। एक ऐसे विरले राजनेता,प्रखर वक्ता,कवि और अभिजात देशभक्त,भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन न सिर्फ भाजपा बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। जहां एक तरफ अटल जी ने विपक्ष में जन्मी पार्टी के संस्थापक व सर्वोच्च नेता के तौर पर संसद और देश में एक आदर्श विपक्ष की भूमिका निभाई वहीं प्रधानमंत्री के रूप में देश को एक निर्णायक नेतृत्व भी प्रदान किया। अटल जी ने अपने विचारों और सिद्धांतों से भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है।’

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद आज 94 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने 5 बजकर 5 मिनट पर आंखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही पूरा देश शोक में डूब गया है। पिछले 66 दिनों से उनका इलाज दिल्ली के एम्स में चल रहा था। यहां उन्हें यूरीन में इनफैक्शन की शिकायत के बाद 11 जून को भर्ती कराया गया था। साल 2009 में अटल जी को आघात (स्ट्रोक) लगा था और इसके बाद उन्हें बोलने में समस्या होने लगी थी। करीब तीन सालों से उन्हें किसी सार्वजिक सभा में नहीं देखा गया।

डॉक्टरों ने आज जारी बुलेटिन में बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी की हालत कल रात की ही तरह बनी हुई थी। डॉक्टरों ने आखिरी समय तक पूर्व पीएम वाजपेयी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मेहनत की लेकिन अनहोनी को टाल नहीं सके।

  • तीन बार बने प्रधानमंत्री

बीजेपी के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1996 से 1999 के बीच तीन बार पीएम चुने गए। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। वह 10 बार लोकसभा के लिए और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को ‘गुड गवर्नेंस डे’ के तौर पर मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी पार्टी ही नहीं विपक्षी नेता भी उनकी बातों को तल्लीनता से सुनते थे और उनका सम्मान करते थे।

  • 2005 में लिया राजनीति से संन्यास

    2015 में सामने आई थी आखिरी तस्वीर

    2015 में सामने आई थी आखिरी तस्वीर

कभी अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले वाजपेयी स्वास्थ्य खराब होने के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे। 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और तब से वह अपने घर पर ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी को कई वर्षों से बोलने और लिखने में भी तकलीफ होती थी। वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे।

  • 2015 में सामने आई थी आखिरी तस्वीर

आखिरी बार उनकी तस्वीर साल 2015 में सामने आई थी जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनके आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था।

  • डिमेंशिया से पीड़ित थे वाजपेयी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री डिमेंशिया (मनोभ्रांस ) नाम की बीमारी से भी लंबे समय से पीड़ित थे। डिमेंशिया किसी खास बीमारी का नाम नहीं है बल्कि यह ऐसे लक्षणों को कहते हैं जब इंसान की मेमरी कमजोर हो जाती है और वह अपने रोजमर्रा के काम भी ठीक से नहीं कर पाता। डिमेंशिया से पीड़ित लोगों में शॉर्ट टर्म मेमरी लॉस जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। ज्यादातर डिमेंशिया के केसों में 60 से 80 प्रतिशत केस अलजाइमर के होते हैं। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के मूड में भी बार-बार बदलाव आता रहता है। वे जल्दी परेशान हो जाते हैं या ज्यादातर वे उदास या दुखी रहने लगते हैं।

  • जब UN में सुनाई दी हिंदी की गूंज

1977 में जनता पार्टी की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे। उन्हें दुनिया के सबसे बड़े मंच पर भाषण देने का मौका मिला। वाजपेयी के हिंदी में दिए शानदार भाषण से अभिभूत UN के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर तालियां बजाईं थीं। वाजपेयी ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश देते हुए मानवाधिकारों की रक्षा के साथ-साथ रंगभेद जैसे गंभीर मुद्दों का जिक्र किया था।

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