15 अगस्‍त 1947: आजादी से एक दिन पहले कैसा था माहौल......

15 अगस्‍त 1947: आजादी से एक दिन पहले कैसा था माहौल……

15 अगस्‍त को यानी कल हम सभी लोग अपनी आजादी का 72वां जश्‍न मनाएंगे। आज 14 अगस्‍त है। यानी एक दिन शेष। जरा सोचिए 71 साल पहले आज के दिन कितनी उठा-पठक चल रही होगी इस वक्‍त। जब लोगों को पता चल होगा कि कल से हम आजाद भारत में सांस ले सकेंगे। आइए एक नजर डालते हैं इस पर कि आजादी से एक दिन पहले कैसा था देश का माहौल…

  • बंटवारे की टीस : हिंदुस्‍तान-पाकिस्‍तान के बंटवारे की घोषणा होते ही सरहर के दोनों ओर से लोग आ और जा रहे थे। बस मन में था जल्‍द से जल्‍द अपने वतन पहुंचने की चाह।
  • रात 11 बजे शुरू हुई सदन की कार्यवाही : आजादी के लिए 15 अगस्‍त की तारीख मुकम्‍मल होने के बाद 14 अगस्‍त की रात 11 बजे संसद की कार्यवाही शुरू की गई। वंदे मातरम से शुरू हुई कार्यवाही में शहीदों के लिए 1 मिनट का मौन रखा गया।
  • गुलामी में सोए और नींद खुली आजादी में : करीब एक घंटे सभी बिंदुओं पर चर्चा होने के बाद 14 अगस्‍त की रात को नेहरू ने अपना ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ सुनाना शुरू किया। वो एक ऐसी रात थी जब देश सोया तो था गुलाम भारत में पर नींद खुली आजादी की नई सुबह के साथ।
  • 15 अगस्‍त को उगा आजादी का सूरज : अगले दिन जब सुबह हुई तो देश अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से आजाद हो चुका था। देश में चारों ओर जश्‍न का माहौल था। दिल्‍ली में पार्लियामेंट स्‍ट्रीट और चांदनी चौक को दुल्‍हन की तरह सजाया गया था।
  • ऐसा था संसद का नजारा : देश की आजादी के जश्‍न के गवाह बनने लाखों लोग संसद के आस-पास एकत्र होते जा रहे थे। करीब ढाई लाख लोग संसद में घुसने का प्रयास कर रहे थे। लोगों को शांत करने के लिए नेहरू समेत कुछ बड़े नेताओं को संसद के बाहर आना पड़ा।
  • आखिरी वायसराय को बनाया गया पहला गर्वनर जनरल : देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर राजेंद्र प्रसाद ने आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को को देश का पहला गर्वनर जनरल बनने का ऑफर दिया और इस तरह माउंटबेटन आजाद भारत के पहले गर्वनर जनरल बने।आखिरी वायसराय को बनाया गया पहला गर्वनर जनरल
  • देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉक्‍टर राजेंद्र प्रसाद ने आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को को देश का पहला गर्वनर जनरल बनने का ऑफर दिया और इस तरह माउंटबेटन आजाद भारत के पहले गर्वनर जनरल बने।
  • लहराने लगा तिरंगा : पूरे देश जहां पहले अंग्रेजों का झंडा नजर आता था, वहां तिरंगा लहराने लगा। अपने तिरंग को देख सभी देशवासियों की आंखें नम थीं। आजाद हो चुके थे हम।

आभार : https://navbharattimes.indiatimes.com

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