- निगम के कर्मचारियों को हिन्दी में कार्य करने हेतु प्रेरित करने का हर संभव प्रयास : अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा
- सभी कविगणों को स्मृति चिह्न भेंट कर किया सम्मानित
- कश्मीर के चक्कर में तुम लाहौल-कराची दे देगो : विनीत चौहान
शिमला : एसजेवीएन द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज (सोमवार) को “राजभाषा प्रोत्साहन अखिल भारतीय कवि-सम्मेलन” का आयोजन होटल हॉली-डे-होम, शिमला के सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा, निदेशक (वित्त) अमरजीत सिंह बिन्द्रा, निदेशक (विद्युत) राकेश कुमार बंसल तथा निदेशक (सिविल) कंवर सिंह सहित निगम के अनेक वरिष्ठ अधिकारी तथा कर्मचारी सहित परिजन उपस्थित थे। इस अवसर पर विद्युत मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. विनीत चौहान भी कवि रूप में मंच पर विराजमान थे।
इस अवसर पर अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने कहा कि निगम के कर्मचारियों को अपना काम हिन्दी में करने के लिए प्रेरित करने का हर संभव प्रयास किया जाता है। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि हिन्दी संबंधी कार्यक्रमों में कर्मचारी बड़ी रूचि से भाग लेते हैं। उन्होंने कहा कि अपने रोजमर्रा के कार्यालयी कामकाज में हम राजभाषा के रुप में हिन्दी से रु-ब-रु होते हैं। यह सौभाग्य एवं गर्व की बात है कि भारत के प्रतिष्ठित कवि हमारे सम्मुख अपनी रचनाओं के जरिए न केवल अपनी हास्य रचनाओं से गुदगुदाएंगे बल्कि मानवीय संवेदनाओं एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति भी करेंगे। यह आयोजन हिन्दी के अन्य क्षेत्रों में निगम की प्रतिभागिता बढ़ाने के प्रयासों का सूचक है। कवियों का औपचारिक स्वागत करते हुए वरिष्ठ अपर महाप्रबंधक (मा.सं./राजभाषा) मुकुल तिरकी ने कहा कि इस कवि सम्मेलन का आयोजन का साक्षी विद्युत मंत्रालय से कोई एक प्रतिनिधि यहां उपस्थित है, यह हमारे लिए प्रसन्नता एवं गौरव का विषय है।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के दौरान आमंत्रित कवियों में राष्ट्र प्रेम के ओजस्वी कवि डॉ. हरिओम पंवार, ओजरस के कवि डॉ. विनीत चौहान, हास्य कवि सुनील व्यास, श्रृंगार एवं भक्तिरस की कवियित्री सुश्री पूनम वर्मा के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश से नवोदित कवियित्री डॉ. सीमा शर्मा तथा निगम की प्रतिनिधि कवियित्री डॉ. देवकन्या ठाकुर जैसे हिन्दी साहित्य के दिग्गज, नामी एवं नवोदित कवियों ने हास्य रस एवं सामाजिक संदेश से ओत-प्रोत अपनी कविताओं और गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. हरिओम पंवार ने अपनी ओजपूर्ण परिचित गेय शैली में प्रभावपूर्ण रचनाओं से जहां एक ओर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं दूसरी ओर कवि सम्मेलन के मंच संचालक एवं राष्ट्रप्रेम के कवि डॉ. विनीत चौहान ने अपनी रचना ”इंच-इंच भला क्या कश्मीर भारत से लड़कर ले लोगे? इस कश्मीर के चक्कर में तुम लाहौर कराची दे देगो” पढ़ी तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। उन्होंने अपनी रचनाओं से सेना को कश्मीर में खुली छूट देने की बात कहीं। सम्मेलन का मंच संचालन करते हुए उन्होंने हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में निगम के राजभाषा कार्यों और इस आयेाजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कवियित्री पूनम शर्मा ने अपनी श्रृंगार रस की कविताओं से सबका मन मोह लिया वहीं दूसरी ओर सुनील व्यास ने अपनी हास्यपूर्ण अदाओं, मिमिकरी और कविताओं से श्रोताओं न केवल हंसाया ही नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों पर कुठाराघात करते हुए श्रोताओं को सोचने पर मजबूर भी कर दिया। डॉ. सीमा शर्मा ने अपनी पुस्तक ”चंद अल्फाज़ मैं भी कह लूं” से कविताओं का प्रभावी पाठ किया वहीं डॉ .देवकन्या ठाकुर ने ”पहाड़ की औरत” जैसी लंबी कविता का उन्मुक्त पाठ कर सबको दांतों तले उंगली दबाने को विवश कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में सभी कविगणों को स्मृति चिह्न भेंट कर इस आयोजन को यादगार बनाया गया। कवि सम्मेलन के उद्घाटन एवं मंच सत्र का संचालन मृदुला श्रीवास्तव, वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) ने किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ कवि सम्मेलन का समापन हुआ।