- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्शोधित मौसम आधारित फसल बीमा योजना की समीक्षा बैठक
- किसान अपनी फसलों का तुरंत बीमा करवाना करें सुनिश्चित
- उपायुक्त के राजस्व अधिकारी को फसल परिणाम के संबंध में कृषि विभाग को जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश
- बैंकों और इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों को अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश
शिमला : किसान किसी भी प्रकार के जोखिम से बचने के लिए अपनी फसलों का तुरंत बीमा करवाना सुनिश्चित करें। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित किया जा सके। इसके लिए बीमा कंपनियां तथा विभाग समन्वय स्थापित कर सक्रियता से कार्य करें। यह विचार आज उपायुक्त शिमला अमित कश्यप ने कृषि उप निदेशक कार्यालय जिला शिमला द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्शोधित मौसम आधारित फसल बीमा योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि पुनर्शोधित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत टमाटर की फसल पर पांच हजार रुपये प्रीमियम राशि देय कर प्रति हैक्टेयर भूमि पर एक लाख रुपये का बीमा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ की फसल में मक्की और धान को भी इस योजना के अधीन लाया गया है। किसान मक्की की फसल के लिए 570 रुपये प्रीमियम अदा कर 30 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर और धान की फसल के लिए प्रति हैक्टेयर भूमि पर 600 रुपये प्रीमियम दर देय कर 30 हजार रुपये का बीमा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि किसान 31 जुलाई, 2018 तक सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों अथवा लोकमित्र केंद्रों में इन फसलों का बीमा करवा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए कृषि विभाग के नजदीकी कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है।
उपायुक्त ने राजस्व अधिकारी को समयबद्ध अवधि में फसल परिणाम के संबंध में कृषि विभाग को जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये, ताकि कृषि विभाग द्वारा आगामी कार्यवाही तुरंत की जा सके। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि प्रेम प्रकाश वर्मा, अग्रिम जिला प्रबंधक यूको बैंक आरसी डडवाल, वरिष्ठ प्रबंधक इफको हितेश गांधी तथा कमल शर्मा, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस की सुप्रिया धांटा, ऐग्रिकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया के सहायक प्रबंधक पवन राणा भी उपस्थित थे।
उपायुक्त ने बैंकों और इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों को इस संबंध में अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये, ताकि किसानों को इस संबंध में अधिक से अधिक जानकारी मिल सके तथा वह लाभान्वित हो सकें।