Himachal Pradesh Council for Science, Technology & Environment

हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की 29 जून को रिकांगपिओ में प्रशिक्षण कार्यशाला : कुनाल

  • प्रशिक्षण कार्यशाला में करीब 65 ग्राम पंचायतें लेंगी भाग

शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड 29 जून को जिला किन्नौर के रिकांगपिओ में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। जानकारी देते हुए संयुक्त सदस्य, सचिव जैव विविधता बोर्ड कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि इस कार्यशाला का आयोजन 29 जून को जिला किन्नौर बचत भवन, रिकांगपिओ में होगा कार्यशाला सुबह 10:00 बजे शुरू होकर शाम 5:00 बजे तक चलेगी। इस कार्यशाला में किन्नौर जिला के उपायुक्त गोपाल चंद  मुख्य अतिथि होंगे व एसडीएम केलांग अमर नेगी विशेष अथिति के रूप में शिरकत करेंगे। इस कार्यशाला में सम्बंधित जिला किन्नौर के जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य, पंचायत प्रधान और सम्बंधित विभाग के अधिकारी मुख्य रूप से वन, कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, शिक्षा, पशुपालन, आयुर्वेद आदि के प्रतिनिधि और संबंधित हितधारक भाग लेंगे।

प्रशिक्षण कार्यशाला में करीब 65 ग्राम पंचायतें लेंगी भाग

प्रशिक्षण कार्यशाला में करीब 65 ग्राम पंचायतें लेंगी भाग

उन्होंने कहा कि कार्यशाला में जैव विविधता अधिनियम, 2002 और इसके नियमों, 2004 के कार्यान्वयन संबंधी विभिन्न गतिविधियों की जानकारी प्रदान की जाएगी तथा जैव विविधता और इसके संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

उन्होंने उम्मीद जताई है कि रिकांगपिओ में कराई जा रही इस प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान करीब 65 ग्राम पंचायतें भाग लेंगी। जिनमें जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य, पंचायत प्रधान, जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, सचिव, बी.एम.सी सदस्य और किन्नौर जिले के सभी तीन विकास खंडों व ग्राम पंचायतों के सदस्य भाग लेंगे। कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यशाला में जैव विविधता और इसके संरक्षण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया जायेगा। कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव कुणाल सत्यार्थी की देखरेख में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के अधिकारी भी कार्यशाला में भाग लेंगे।

जैवविविधता के महत्व और संबंधित मुद्दों के बारे में जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) की भूमिका और जागरूकता बढ़ाने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। राज्य में जैव-संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।

प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान विभिन्न वन मंडलों के अधिकारी, सभी विकास खंडों के पंचायत प्रधान, जैव विविधता प्रबंधन समितियों के चेयरमैन एवं मेम्बर और स्थानीय हितधारकों को जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों 2004 के प्रावधानों के महत्वों को साझा कर संवेदित किया जाएगा। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन की प्रक्रिया, जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका, जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) की तैयारी और जिला लाहौल स्पीति के जैव संसाधनों का लाभ साझाकरण (ए.बी.एस) प्रक्रिया को भी इस कार्यशाला में संबोधित किया जायेगा।

मुख्यबिंदु:

  •  आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जानवरों और पौधों की परंपरागत प्रजातियों/ नस्लों के संरक्षण/ जैव संसाधनों के संरक्षण पर जैव विविधता प्रबंधन समिति (बी.एम.सी) की भूमिका एवं क्षमता निर्माण और जैव संसाधनों और स्थायी उपयोग पर जागरूकता लाना।
  •  जैविक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के लिए बी.एम.सी की विशिष्ट भूमिकाओं और कार्यों के बारे में ज्ञान होना।
  •  जैविक संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन के लाभों को सुरक्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विकल्पों की पहचान कर इन विकल्पों को जैव संरक्षण के कार्य में लाना।

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