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किसान ‘‘ मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजद़ूर जीवन सुरक्षा योजना’’ का लें लाभ : कृषि निदेशक डॉ. देस राज

  • किसानों से आग्रह किया की वह सुरक्षित होकर खेत में काम करें :  डॉ. देस राज

 शिमला: किसानों के कल्याण के लिए इस वर्ष भी “मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना” जारी रहेगी। इस योजना की जानकारी देते हुए कृषि निदेशक डॉ. देस राज ने देते हुए कहा कि कृषि मशीनरी के प्रयोग के दौरान किसानों तथा खेतीहर मज़दूरों के घायल होने अथवा उनकी मृत्यु होने की सूरत में बीमा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने यह योजना आरम्भ की है। इसमें मृत्यु होने पर मुआवज़े के रूप में रुपये 1.5 लाख, स्थाई रूप से अपंग होने पर प्रभावित को रुपये  50,000 तथा आशिंक स्थाई रूप से अपंग होने पर प्रभावित को रुपये 10,000 से 40,000 तक की सहायता प्रदान की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस योजना में उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को मुआवज़ा मिलेगा। जिनकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो और जो कृषि मशीनरी, औजार व् उपकरण आदि खेत में प्रयोग के दौरान अथवा कृषि मशीनरी को खेत से घर और घर से खेत ले जाते हुए किसी दुघर्टना की वजह से घायल हुए हो, या फिर मृत्यु हुई हो। जबकि इसमें उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को भी शामिल किया जायेगा जिनकी मृत्यु अथवा विकलांगता नलकूप, बोरवेल, पम्पिंग सेट लघु लिफ्ट इत्यादि को स्थापित या संचालित करते समय हुई हो। किसी भी उर्जा संचालित मशीनरी को उपयोग, स्थापित या ढुलाई करते समय लगने वाले बिजली के करंट से  होने वाली किसानों तथा खेतीहर मजदूरों की मृत्यु अथवा विकलांगता को भी इस योजना में शामिल किया जायेगा। इसके अंतर्गत आने वाली कृषि मशीनरी में विभाग में पंजीकृत ट्रैक्टर, पावर टिलर, वीडर, उर्जा चलित हल, रीपर व बाईडर मशीन, पावर थ्रैशर, घास काटने की मशीन, औजार, उपकरण, नलकूप, बोरवेल, पम्पिंग सेट लघु लिफ्ट इत्यादि स्थापित या संचालित करने के लिए उपयोग किये गए उपकरण हैं। इस योजना में केवल स्थानीय किसान तथा खेतीहर मजदूर ही आते हैं और किसी भी कंपनी के ठेकेदार एक कार्यकर्ता व कर्मचारी को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि इस योजना को कृषि विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। मृतक के कानूनी वारिस या दुर्घटनाग्रस्त किसान को इस तिथि से 2 महीने के भीतर संबंधित ब्लॉक के विषय विशेषज्ञ को दावे के लिए आवेदन जमा करवाना होगा। हालांकि वास्तविक कारणों के आधार पर 4 महीने तक कृषि निदेशक को और 6 महीने तक सचिव; कृषि को देरी से आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। दावे की राशि सभी तरह से पूर्ण आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर वितरित कर दी जायेगी। डॉ. देस राज ने बताया की इस योजना के अंतर्गत अब तक 53 किसानों को 17.20 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए गए हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया की वह सुरक्षित होकर खेत में काम करें।

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