सीएम के अधिकारियों को लघु व दीर्घकालीन योजनाओं पर कार्य में तेजी लाने के निर्देश, ताकि आगामी गर्मियों में शिमला में न हो जल संकट

  • मुख्यमंत्री ने की जल आपूर्ति उपायों की समीक्षा
  • लाइन विभागों को एक वर्ष के भीतर कार्य पूरा करने के निर्देश

शिमला: गुम्मा, अश्वनी तथा गिरी नदी, जहां से शहर के लिये पानी की आपूर्ति की जा रही है, की क्षमता में वृद्धि करके शिमला के लिये 10 एम.एल.डी. से अधिक अतिरिक्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शिमला शहर के लिये विभिन्न जल स्रोतों से जल आपूर्ति के सुधार के लिये उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा के लिये विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आज यहां बैठक की। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को लघु व दीर्घकालीन योजनाओं पर कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए ताकि अधिकांश कार्य एक वर्ष के भीतर पूरा किया जा सके और आगामी गर्मियों के मौसम में शिमला में जल का संकट न हो। उन्होंने विभिन्न योजनाओं में जल क्षमता को बढ़ाने के लिये कार्यान्वित की जा रही मध्य-कालीन योजनाओं के कार्य में भी तेजी लाने को कहा।

उन्होंने कहा कि अश्वनी खड्ड क्षेत्र में और अधिक ट्यूब वैल स्थापित करने की संभावना का पता लगाया जाएगा तथा गुम्मा और गिरी जल स्रोतों को आने वाले पानी पर चैक डैमों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, शिमला शहर में नौ अतिरिक्त जल भण्डारण टैंकों का निर्माण किया जाएगा जिनमें 17 एमएलडी अतिरिक्त पानी का भण्डारण किया जा सकेगा।

उन्होंने नगर निगम शिमला के अधिकारियों को पानी का रिसाव रोकने तथा क्रैगनेनों से ढ़ली के बीच सात किलोमीटर लम्बी मुख्य जलापूर्ति लाईन को बदलने के कार्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जल वितरण की व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए और इस कार्य को संजौली, ईंजनघर तथा टुटू वार्डो में शीघ्र करने के निर्देश दिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि चाबा परियोजना का कार्य एक वर्ष के भीतर पूरा किया जाना चाहिए, जो गुम्मा जल स्रोत को 10 से 15 एम.एल.डी. अतिरिक्त पानी उपलब्ध करवाएगा।

उन्होंने कहा कि लाइन विभागों को निकट तालमेल के साथ कार्य करना चाहिए ताकि अवांछित देरी से बचा जा सके तथा लक्ष्यों को तय समय सीमा के भीतर हासिल किया जा सके।

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के सचिव देवेश कुमार ने कहा कि अश्वनी खड्ड जल स्रोत में कीटाणुओं को मारने के लिए पराबैंगनी विकिरण प्रौद्योगिकी की कोशिश की जाएगी तथा जल उठाने के सभी स्रोतों पर चैकडैम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने शिमला में केन्द्रीय जल आयोग दल के दौरे तथा दल द्वारा दिए गए सुझावों के बारे में भी जानकारी दी।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *