- चालू खरीफ में ऋणी तथा गैर ऋणी किसानों द्वारा मक्की व धान की फसलों पर बीमा करवाने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित
- योजना ऋणी किसानों के लिये अनिवार्य तथा गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक
शिमला: प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चालू खरीफ मौसम में भी जारी रहेगी। इस योजना के अंतर्गत किसानों को मक्की व धान की फसलों पर बीमा आवरण मिलेगा। यह जानकारी देते हुए कृषि निदेशक डॉ. देस राज ने बताया कि चालू खरीफ में ऋणी तथा गैर ऋणी किसानों द्वारा मक्की व धान की फसलों पर बीमा करवाने की अन्तिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गई है। यह योजना ऋणी किसानों के लिये अनिवार्य तथा गैर ऋणी किसानों के लिए स्वैच्छिक है।
डॉ. देस राज ने कहा कि प्रतिकूल मौसम से किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है तथा आर्थिक हानि होती है। इस योजना का उद्देष्य किसानों की फसलों को बुआई से लेकर कटाई तक प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आग, आसमानी बिजली, सूखा, शुष्क अवधि, आँधी, ओलावृष्टि, चक्रवात, तूफान, कीट व रोगों आदि से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करना है। इसके अलावा अगर किसान कम वर्षा या प्रतिकूल मौसमी व्यवहार के कारण समय पर बुवाई नहीं कर पाता है तो भी उसे बीमा आवरण मिलेगा। इसके साथ साथ इस योजना में कटाई के उपरांत खेत में सुखाने हेतु रखी फसल यदि 14 दिन के भीतर चक्रवाती बारिश व बेमौसमी बारिश के कारण खराब हो जाती है तो क्षतिपूर्ति का आंकलन खेत स्तर पर ही किया जाएगा।
यह योजना लाहौल व स्पीती और किन्नौर को छोड़कर सभी जिलों के लिए है। इन जिलों को दो वर्गो में बांटा गया है। चम्बा, हमीरपुर, काँगड़ा व ऊना वर्ग-1 में शामिल है तथा वर्ग-2 में बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर शामिल है। चम्बा, हमीरपुर, काँगड़ा व ऊना के जिलों का बीमा करेगी जबकि बिलासपुर, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के किसानों का बीमा। मक्की व धान दोनो फसलों हेतु सामान्य कवरेज पर बीमित राषि 30,000. रूपये प्रति हैक्टेयर है। प्रीमियम की दर बीमित राशि के अनुसार 2 प्रतिशत रखी गई है।
कृषि निदेशक ने किसानों का आहवान किया कि फसलों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति करने हेतु अपनी फसलों का बीमा करवायें। इसके लिए वे अपने नजदीक की प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं, ग्रामीण बैंकों तथा वाणिज्यिक बैंकों से सम्पर्क करें व इस बारे में अपने नजदीक के कृषि प्रसार अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी व खण्ड स्तर पर तैनात विशेषज्ञ का भी सहयोग ले सकते हैं।