अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की 25वी वर्षगाँठ पर कार्यशाला आयोजित

  • जैव विविधता संरक्षण के लिये सम्बद्ध विभागों को करने होंगे अतिरिक्त प्रयास : विपिन परमार
  • 16 से 20 मई तक विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों को शिमला वाइल्डलाइफ सेंचुरी एवं वाटर कैचमेंट एरिया ले जा कर जैव विविधिता के बारे में दी गई जानकारी : कुनाल सत्यार्थी
  • जैव विविधता पर जागरूकता रैली में शिमला के 50 स्कूलों ने लिया भाग
  • समारोह में शिमला शहर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों, अध्यापकों व अन्य लोगों ने लिया भाग
जैव विविधता संरक्षण के लिये सम्बद्ध विभागों को करने होंगे अतिरिक्त प्रयास : विपिन परमार

जैव विविधता संरक्षण के लिये सम्बद्ध विभागों को करने होंगे अतिरिक्त प्रयास : विपिन परमार

शिमला: जैव विविधता के सरंक्षण को लेकर विश्व भर में चिंतन किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद पर्यावरण पर निरंतर बढ़ रहे खतरे को कम करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुकी है। यह बात स्वास्थ्य, आयुर्वेद तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विपिन सिंह परमार ने आज यहां केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र में हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि बिगड़ते पर्यावरण के कारण प्रतिदिन धरती से जीव-जंतुओं, पक्षियों तथा पौधों की 150 से अधिक प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला थमा नहीं तो धरती पर मानव जीवन भी संभव नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा और संबद्ध विभागों, पंचायती राज संस्थानों, स्वयं सेवी संस्थाओं तथा बुद्धिजीवियों को विशेष प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि हम भावी पीढ़ियों को विरासत में ऐसी धरा नहीं छोड़ना चाहेंगे, जहां जीवन दूभर बन जाए।इससे पूर्व, आयुर्वेद मंत्री ने जैव विविधता पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर जैव विविधता पर एक वृतचित्र भी प्रदर्शित किया गया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) तरुण कपूर ने राज्य जैव विविधता की सभी अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण के प्रति सभी हितधारकों को जैविक विविधता अधिनियम के प्रति जागरूक रहने को कहा। डा. वाई. एस. परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पूर्व प्रोफेसर व राष्ट्रीय औषधीय पौधों के पूर्व वरिष्ठ सलाहकार डा. एन. एस. चौहान ने हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि अकेले भारतवर्ष में विश्व की कुल 20 प्रतिशत जैव विविधता पाई जाती है और इसमें भी कुल तीन हॉट-स्पॉट में से एक हिमाचल प्रदेश है जहां प्रचुर जैव विविधता मौजूद है। उन्होंने कहा कि जैव विविधता और पर्यावरण के संरक्षण में पौराणिक परंपराएं, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक अधिकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसलिए, संरक्षण ज्ञान और प्रावधानों, मूल्यवान जैव स्रोतों के दस्तावेज, उनके संबंधित पारंपरिक ज्ञान और जैव विविधता को संरक्षित करने में स्थानीय लोगों व समुदायां की महत्वपूर्ण भूमिका है।

हि. प्र. राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी ने कहा कि बोर्ड ने जैव विविधता सप्ताह का आयोजन भी किया था, जिसमें स्कूली बच्चों के लिए जैव विविधता पर व्याख्यान, जागरूकता और जानकारी प्रदान की गयी। अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस से पूर्व प्रत्येक दिन 16 मई से 20 मई तक विभिन्न स्कूलों के विधार्थियों को शिमला वाइल्डलाइफ सेंचुरी एवं वाटर कैचमेंट एरिया ले जा कर वहां की जैव विविधिता के बारे में अवगत करवाया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर मे जैव विविधता विषय पर क्विज, शब्दपांडित्य और पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। जैव विविधता पर जागरूकता रैली भी निकाली गई जिसमें शिमला शहर के 50 स्कूलों ने भाग लिया। समारोह में शिमला शहर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों, अध्यापकों व अन्य लोगों ने भाग लिया। शिमला शहर के विभिन्न सार्वजनिक और सरकारी स्कूलों के लगभग 250 छात्र/छात्राओं ने इस अवसर पर भाग लिया और इस मौके पर गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, फागली, के बच्चों द्वारा जैव विविधता पर एक लघु नाटिका भी प्रस्तुत की गयी।

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