शिमला: मिट्टी स्वास्थ्य प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए चालू खरीफ मौसम में जीपीएस प्रणाली के तहत मिट्टी के 28030 नमूनों की जाँच की जायेगी, ताकि किसान मिट्टी परीक्षण के आधार पर खादों का सन्तुलित उपयोग व फसलों का चयन कर सकें। मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट किसानों को ‘मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड’ पर उपलब्ध करवाई जायेगी। यह कार्ड किसानों को निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं।
इसकी जानकारी देते हुए डॉ. देस राज कृषि निदेशक ने कहा कि “मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना” वर्ष 2015 से आरम्भ हुई, जिसका उद्देश्य फसलों में पोषक तत्वों की कमी की भरपाई, मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करना, मिट्टी की उर्वरकता सम्बंधित समस्याओं का निदान करना है। सरकार इस योजना की प्रगति की समीक्षा साप्ताहिक आधार और वेब आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल के माध्यम से कर रही है।
डा. देस राज ने आगे बताया कि उर्वरकों के संतुलित उपयोग हेतु मिट्टी का परीक्षण अति आवश्यक है। मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग किए जाने से फसलोत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। अच्छी उपज के लिये यह आवश्यक हो गया है कि प्रमुख तत्वों के साथ-2 गौण एवं सूक्ष्म तत्वों का प्रयोग भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर किया जाये। किसानों की सुविधा के लिए प्रदेश में 9 स्वचालित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं, 11 अचल मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं व 47 मिनी प्रयोगशालाएं भी उपलब्ध करवाई गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भूमि से पोषक तत्वों के अधिक दोहन के कारण मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है। हमारी फसलें जिस मात्रा में पोषक तत्वों का भूमि से अवशोषण कर रही हैं, किसान उस मात्रा में उसकी भरपाई नहीं कर रहे हैं। मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि रासायनिक उर्वरकों, देसी खादों, हरी खादों व जैविक खादों का मिल-जुल कर प्रयोग किया जाये। इस बात को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा चालू रबी मौसम में 21000 टन रासायनिक खादों ( तत्वों के रूप में) के साथ-साथ 100 क्विंटल जीवाणु खादें भी किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं। केंचुआ खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को वर्मी कम्पोस्ट इकाई के निर्माण हेतु 6000 रूपये की सहायता का प्रावधान किया गया है। डॉ. देस राज ने किसानों का आह्वान किया कि वह मिट्टी के नमूने की जांच समय पर करवायें तथा मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें।