- परियोजना से दो मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय भाईचारे के संबंध होंगे मजबूत : नन्द लाल शर्मा
- परियोजना के निर्माण से समृदि्ध व विकास के नए युग का होगा सूत्रपात
- नेपाल के संखुवासभा जिले में अरूण नदी पर बनेगी परियोजना
- परियोजना में होगी 900 मेगावाट की उत्पादन क्षमता
- परियोजना की संभावित लागत 7000 करोड़ भारतीय रूपए (11,200 करोड़ नेपाली रूपए)
- परियोजना के तहत नेपाल भारत सीमा तक 217 कि.मी. लम्बी 400 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाईन स्थापित किया जाना भी शामिल
शिमलाः भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली द्वारा 900 मेगावाट अरूण-3 जल विद्युत परियेाजना की काठमाण्डु में संयुक्त रूप से आधारशिला रखी गई। यह परियोजना नेपाल के संखुवासभा जिले में अरूण नदी पर है। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निेदेशक नन्द लाल शर्मा ने बताया कि इस परियोजना का निष्पादन एसजेवीएन द्वारा अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली एसजेवीएन अरूण-3 पावर डेवल्पमेंट कंपनी (एसएपीडीसी) नामक अधीनस्थ कंपनी के माध्यम से किया जा रहा है। एसजेवीएन को यह परियोजना नेपाल सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बिडिंग के आधार पर मार्च, 2008 में आबंटित की गई थी। अरूण-3 परियोजना के निर्माण के लिए नेपाल सरकार और एसजेवीएन के बीच समझौता ज्ञापन पर 2 मार्च, 2008 को हस्ताक्षर किए गए थे।
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शर्मा ने बताया कि अरूण-3 जलविद्युत परियोजना पूर्वी नेपाल के क्षेत्र-I के संखुवासभा जिले में अरूण नदी पर स्थित एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है। यह 900 मेगावाट की उत्पादन क्षमता के साथ एक निर्यातोन्मुख परियोजना है। बांध की ऊंचाई 70 मी. और मुख्य सुरंग 11.77 कि.मी. लम्बी है। प्रत्येक 225 मेगावाट की चार फ्रांसिस टरबाईनों से युक्त परियोजना का विद्युत गृह भूमिगत होगा। अरूण-III जलविद्युत परियोजना की हर साल लगभग 4000 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करने की संभाव्यता है। परियोजना के अंतर्गत नेपाल भारत सीमा तक 217 कि.मी. लम्बी 400 केवी डबल सर्किट ट्रांसमिशन लाईन स्थापित किया जाना भी शामिल है।
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निेदेशक शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन लिमिटेड को यह परियोजना निर्माण-स्वामित्व–प्रचालन-हस्तांतरण (BOOT) आधार पर 30 साल की अवधि के लिए प्रदान की गई है तथा परियोजना की कुल संभावित लागत 7000 करोड़ भारतीय रूपए (11,200 करोड़ नेपाली रूपए) है, जिसमें उत्पादन और ट्रांसमिशन दोनों शामिल हैं।
शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन के पास विशाल जलविद्युत परियोजनाओं को बनाने और कमीशन करने का पहले से ही जरूरी अनुभव है और यह चुनौतीपूर्ण हिमालयी भू-वैज्ञानिक परिस्थितियो से जूझते हुए भारत के सबसे बड़े 1500 मेगावाट नाथपा झाकड़ी जलविद्युत स्टेशन और 412 मेगावाट रामपुर जलविद्युत स्टेशन की पहले ही कमीशनिंग कर चुका है। अरूण-3 परियोजना के निर्माण के लिए चार बड़ी संविदाएं पहले ही अवार्ड की जा चुकी हैं।
परियोजना के निर्माण से क्षेत्र का चहुंमुखी विकास होगा और परियोजना क्षेत्र के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों के सामाजिक-आर्थिक स्तरों का उन्नयन करने में मदद मिलेगी। परियोजना से जुड़ी गतिविधियों से नई सड़कों, पुलों के निर्माण तथा स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, इत्यादि जैसी अन्य सुविधाओं के विकास को भी गति मिलेगी। इसके अलावा कुल 269 परियोजना प्रभावित परिवारों को हर महीने प्रत्येक को 30 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। इस परियोजना से क्षेत्र में समृदि्ध और विकास के एक नए युग का सूत्रपात होगा और पारम्परिक रूप से दो मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय भाईचारे के संबंध निश्चित रूप से प्रगाढ़ होंगे।
शर्मा ने यह भी कहा कि यह परियोजना एसजेवीएन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कीर्तिस्तम्भ है और एसजेवीएन पहले से ही देश में 1965 मेगवाट की चार परियोजनाओं का प्रचालन कर रहा है। कंपनी की अन्य आगामी परियोजनाओं में 3218 मेगावाट क्षमता की 10 जलविद्युत परियोजनाएं (1148 मेगावाट क्षमता की 7 परियोजनाएं भारत में तथा 2070 मेगावाट क्षमता की 3 परियोजनाएं पड़ोसी देशों में), बिहार के बक्सर में 1320 मेगावाट की ताप विद्युत परियोजना तथा गुजरात के सादला में 50 मेगावाट की पवन विद्युत परियोजना शामिल है।