- प्राकृतिक खेती के लिये राज्य बजट में 25 करोड़ का प्रावधान : सीएम
- राज्य सरकार विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए वैज्ञानिकों को समर्थन करेगी सुनिश्चित
- अपनी सदियों पुरानी पारम्परिक फसल पद्वति को अपनाना चाहिए : मुख्यमंत्री
- सीएम ने किया वैज्ञानिकों से अपना अनुसंधान किसानों तक पहुंचाने का आग्रह, ताकि किसान आय में वृद्धि के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाकर हो सकें लाभान्वित
पालमपुर : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिले के पालमपुर स्थित हिमालयन बायो रिसोर्स टेक्नोलॉजी के सीएसआईआर संस्थान (आईएचबीटी) में अपनी पहली मुलाकात के दौरान जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है और राज्य सरकार विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए वैज्ञानिकों को समर्थन सुनिश्चित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी सदियों पुरानी पारम्परिक फसल पद्वति को अपनाना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नही है और काफी किफायती भी है। उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्टी की प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई है और साथ ही यह हमारे स्वास्थ्य के लिए दुष्प्रभाव पैदा कर रही है। जय राम ठाकुर ने कहा कि देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और मुख्य व्यवसाय कृषि तथा संबद्ध गतिविधियां हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान दिए बिना देश के विकास के बारे में सोचना सम्भव नहीं है। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपना अनुसंधान किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया ताकि वह अपनी आय में वृद्धि के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाकर लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में नई पहल करना समय की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने संस्थान द्वारा एरोमेटिक ऑयलस ऑफ हिमालयाज़ वैबसाईट का शुभारम्भ किया। उन्होंने इस अवसर पर सब्बैटिकल होम का भी लोकार्पण किया। इस अवसर पर सामुदायिक वितरण इकाईयों की स्थापना पर किसान समितियों के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए। मुख्यमंत्री ने किसानों को जंगली मैरीगोल्ड की सुधरी किस्म के बीज प्रदान किए।
पूर्व मुख्यमंत्री तथा सांसद शांता कुमार ने कहा कि देश विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है लेकिन आजादी के 71 वर्षों के बाद भी देश के किसानों के लिए अभी बहुत किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुणा करने का लक्ष्य रखा है, जो बेहद संतुष्टि का विषय है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनुसंधान का खेतों तथा आम आदमी तक पहुंचना अत्यंत अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पुष्प उत्पादन की अपार संभावना है और इसके उचित विपणन पर बल दिया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार से संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए जाने वाले अनुसंधान को कॉरपरेट घरानों से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने देशी गायों की नस्ल के पालन पर बल दिया तथा राज्य सरकार से इस नस्ल को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री विपिन सिंह परमार ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि संस्थान की स्थापना पालमपुर में 1983 में की गई थी और संस्थान प्रदेश में समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण के लिए निरंतर भरसक प्रयास कर रहा है।