कार्यशाला के माध्यम से दी राज्य में जैव-संसाधनों के संरक्षण व स्थायी उपयोग के बारे में जानकारी

  • एचपीएसबीबी द्वारा कुल्लू में जैव विविधता पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित
  • जैव विविधता पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता : वन मंत्री

शिमला: जिला कुल्लू में 22 अप्रैल को “जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना, स्थानीय लोग और उनकी आजीविका को कायम रखना” पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एच.पी.एस.बी.बी) जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों, 2004 के कार्यान्वयन से संबंधित गतिविधियों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन आज डिग्री कॉलेज कुल्लू में किया गया। कार्यशाला में राज्य में जैव-संसाधनों के संरक्षण और स्थायी उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर गोविंद सिंह ठाकुर ने संबोधित करते हुए बताया कि जैव विविधता संरक्षण की समस्याओं को सफलतापूर्वक और इसके संदर्भ में जैव विविधता पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जैव विविधिता संरक्षण के लिए जैव विविधता अधिनियम 2002 और नियम 2004 महत्वपूर्ण मापदंड प्रदान कराते हैं। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए नए विचारों को उत्पन्न करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर डाला। उन्होंने राज्य जैव विविधता की सभी अनूठी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए इसके संरक्षण के प्रति सभी हितधारकों को जैविक विविधता अधिनियम 2002 और नियम 2004 के प्रति जागरूक रहने की हिदायत दी।

कार्यशाला हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव, कुणाल सत्यार्थी के पर्यवेक्षण के तहत सम्पूर्ण हुई। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के अधिकारियों ने भी कार्यशाला में भाग लिया। लगभग 925 प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया जिसमें जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति के सदस्य, जिला कुल्लू के विभिन पंचायतों के प्रधान सहित जिला प्रशासन और सम्बंधित विभाग के अधिकारी और सम्बंधित हित धारकों ने शिरकत की।

प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान, चार वन मंडलों के अधिकारी, जिला कुल्लू के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जी.एच.एन.पी) के अधिकारी, पांच ब्लाकों के पंचायत प्रधान और स्थानीय हितधारकों को जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम, 2002 और नियमों 2004 के प्रावधानों के महत्वों को सांझा कर संवेदित किया गया। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन की प्रक्रिया, जैव विविधता प्रबंधन समितियों की भूमिका, जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) की तैयारी और जिला कुल्लू के जैव संसाधनों का लाभ साझाकरण (ए.बी.एस) प्रक्रिया को भी इस कार्यशाला में संबोधित किया गया। सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (जी.एस.एस.एस), बजौरा के इको-क्लब द्वारा कार्यशाला में जैव विविधिता सम्बंधित एक नाटकीय कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।

  • अभी तक 126 जैव विविधता प्रबंधन समितियों का ग्राम पंचायत स्तर पर गठन

हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एच.पी.एस.बी.बी) ने कुल्लू जिले की 204 ग्राम पंचायतों में 126 जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) का अभी तक ग्राम पंचायत स्तर पर गठन किया है जिसमें से 51 जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) में जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) की तैयारी ग्राम पंचायत स्तर पर शुरू भी हो गयी है। 66 लाख रुपए की राशि हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (एच.पी.एस.बी.बी) ने अभी तक कुल्लू जिले में गठित 126 जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) को स्थानीय जैव विविधता फण्ड के रूप में प्रदान कर दी है जो जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बी.एम.सी) के गठन और जन जैव विविधता रजिस्टर (पी.बी.आर) के निर्माण में काम आयेगी।

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