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देरी से शव सौंपने की खबरों से आहत हूँ, आरोप साबित हुए तो दूंगा इस्तीफा : राकेश पठानिया

  • देरी से शव सौंपने के आरोप अगर सही साबित हुए तो विधानसभा से दूंगा इस्तीफा : राकेश पठानिया
  • मासूम बच्चों की अस्थियों को हरिद्वार ले जाने के लिए प्रशासन ने की सेमी डिलक्स की व्यवस्था
  • मासूमों के शवों पर राजनीति की बातें सही नहीं

शिमला : नूरपुर हादसे को लेकर आज शिमला में कांगड़ा जिला के नूरपूर से भाजपा विधायक राकेश पठानिया ने प्रेसवार्ता की। उन्होंने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि बस का ड्राइवर एक्स सर्विस मेन था और अच्छा ड्राइवर था, इसलिए रैश ड्राइविंग के कारण यह हादसा नहीं हुआ है। पिछले कुछ समय से चालक को हार्ट प्रोब्लम थी लेकिन यह सब जांच का विषय है उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। देरी से शव सौंपने के आरोपों को निराधार बताते हुए पठानिया ने कहा कि ये आरोप अगर सही साबित हुए तो वे विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे। सभी खबरों को निराधार करार देते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई ये बात साबित कर दे कि मुख्यमंत्री के पहुंचने तक शव रोके गए तो वह विधायकी छोड़ देंगे। विधायक ने कहा कि वे इस मसले को हाईकोर्ट लेकर जाएंगे और मानहानि का केस दायर करेंगे।

उन्होंने बताया कि की हादसे के दौरान स्थानीय लोगों और पुलिस ने ही मदद की। हादसे के बाद हर संभव सहायता की गई, लेकिन 23 बच्चों की हालत ऐसी थी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका। हादसे में घायल बच्चों की हालत इतनी खराब थी कि हम उन्हें टांडा और पीजीआई भेजना चाहते थे, लेकिन उनकी हालत ऐसी नहीं थी कि उन्हें वहां तक भेजा जा सकता। इसलिए टांडा से भी डॉक्टर बुलाये गये। कुछ बच्चों को अमनदीप अस्पताल पठानकोट भेजा गया। राकेश पठानिया  ने कहा कि तीन बच्चों की मौत पठानकोट अस्पताल में हो चुकी थी, जिन्हें भी वापस नूरपुर लाया गया था। सभी पोस्टमार्टम हादसे में मारे गए बच्चों के अभिभावकों की मौजूदगी में हुए हैं। सुबह जल्द पूरी टीम के साथ बच्चों का पोस्टमार्टम शुरू किया गया, लेकिन बच्चों के परिजनों के अस्पताल में नहीं पहुंच पाने के कारण थोड़ी देरी हुई है।

सारी प्रक्रिया को पूरा करने में 10 बज चुके थे। सवा दस बजे मुख्यमन्त्री वहां पहुंचे। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व विपक्ष के नेता सहित सभी नेता अपनी मर्ज़ी से वहां पहुंचे थे, किसी का इंतज़ार नहीं किया गया। प्रशासन ने अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई है। उन्होंने कहा कि मासूमों के शवों पर राजनीति की बातें सही नहीं है। जो खबरें अखबारों में छपी हैं, उससे आहत हूँ।

पठानिया ने कहा सुप्रीम कोर्ट की साफ गाइडलाइन है कि किसी भी हादसे में मारे गए लोगों को बिना पोस्टमार्टम किए शव नहीं दिया जा सकता। ऐसे में नूरपुर हादसे के बाद पोस्टमार्टम करने के बाद ही शव परिजनों को सौंपे गए थे। उन्होंने कहा कि नूरपुर टैक्सी ऑपरेटरों ने मुफ्त में शवों को घरों तक पहुंचाने के लिए 50 गाड़ियां मुहैया करवाई थी। शवों को देरी से दिए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि उस दिन सुबह 9.45 तक दो शिनाख्तकर्ता नहीं पहुंच पाए थे। राकेश पठानिया  ने कहा कि हादसे में 7 बच्चे ऐसे थे, जो पहली बार स्कूल गए थे। अगर मुख्यमंत्री  इन मासूम नन्हें बच्चों को श्रद्धांजलि देने के लिए आए तो इसमें क्या गलती है। उन्होंने कहा कि मीडिया में इस विषय को गलत तरीके से पेश किया। राकेश पठानिया  ने बताया कि 11 बच्चे जो घायल हैं, उनकी हालत अब खतरे से बाहर है। तीन की ओपन ब्रेन सर्जरी हुई है जिसका सारा खर्चा सरकार वहन कर रही है। राकेश पठानिया कि इस दुःख की घड़ी में हम शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़े हैं। मासूम बच्चों की अस्थियों को हरिद्वार ले जाने के लिए प्रशासन द्वारा सेमी डिलक्स की व्यवस्था की गई है।

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