इराक से 38 भारतीयों के शव लेकर देश लौट रहे हैं वी.के सिंह, हिमाचल के खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार और व एसडीएम फतेहपुर अमृतसर पहुंचे

इराक से 38 भारतीयों के शव लेकर देश लौट रहे हैं वी.के सिंह, हिमाचल के खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार व एसडीएम फतेहपुर अमृतसर पहुंचे

इराक में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के हाथों मारे गए भारतीय नागरिकों के शव भारत लाए जा रहे हैं। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह इराक के लिए रविवार को रवाना हुए थे। बता दें 39 में से एक मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाई है, जिन 38 भारतीयों के शवों की शिनाख्त हुई है, उन्हें ही विशेष विमान के जरिए वापस लाया जा रहा है। वीके सिंह शवों को लेकर सबसे पहले पंजाब के अमृतसर जाएंगे। जहां वह पंजाब के 27 और हिमाचल प्रदेश के चार युवकों के पार्थिव अवशेष उनके परिजनों को सौंपेंगे। इसके बाद वह सात अन्य शवों को एक अन्य विमान में लेकर पटना जाएंगे जहां बिहार के पांच युवकों के शव उनके परिजनों के हवाले करेंगे और रात में कोलकाता पहुंच कर पश्चिम बंगाल के दो लोगों के शव उनके परिवार को सौंपेंगे।

वहीं हिमाचल प्रदेश के चार युवकों के पार्थिव अवशेष उनके परिजनों को सौंपें जाएँगे। कांगड़ा जिले के धमेटा के संदीप राणा (38), धर्मशाला के पास्सू के अमन कुमार (31), देहरा के कदरेटी के इंद्रजीत (32) और मंडी के सुदंरनगर के बायला निवासी हेमराज (32) के पार्थिव अवशेष लेने के लिए खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार और एसडीएम फतेहपुर अमृतसर पहुंच गए हैं। अमृतसर से सड़क मार्ग से चारों शवों को कांगड़ा लाया जाएगा। इसके बाद इन्हें पैतृक गांवों की ओर रवाना किया जाएगा। उपायुक्त कांगड़ा ने बताया कि परिजनों को पार्थिव अवशेष मंगलवार को ही सौंपे जाएंगे। उसी दिन उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि प्रदेश के चार युवक वर्ष 2013 में परिवार को गरीबी से उबारने के लिए इराक के मोसुल शहर गए थे। सभी तारिक नूर अलहुदा कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत थे। वर्ष 2014 में आईएसआईएस आतंकियों ने 39 भारतीयों समेत इन चार युवकों के अपहरण के बाद हत्या कर दी थी। 20 मार्च 2018 को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में इनकी हत्या की जानकारी दी। पिछले 12 दिनों से पीडि़त परिवार अपने लाडलों के पार्थिव अवशेषों का इंतजार कर रहे थे।

बिहार के एक युवक राजू कुमार यादव के डीएनए के केवल 70 प्रतिशत मिलान होने के कारण उसका मामला जांच के अधीन है इसलिए उसके शव को लाने में देर होगी। बता दें कि साल 2014 में उत्तरी मोसुल शहर पर कब्जा करने के तुरंत बाद आईएस ने इन मजदूरों को अगवा कर लिया था।

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