शिमला: विधानसभा प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने अपने-अपने हलकों के पीएचसी, सीएचसी और अन्य अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का मामला उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वे अपने क्षेत्रों में मौजूद चिकित्सा संस्थानों की प्राथमिकता सूची दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा कोई भी संस्थान खोलने से पहले पूरी तरह पड़ताल कर रही है कि उस जगह उसकी कितनी जरूरत है, साथ ही स्टाफ की व्यवस्था कैसे होगी आदि। इसके अलावा सरकार कह रही है कि अगर कहीं पर स्टाफ की बहुत अधिक जरूरत है तो उस आधार पर वहीं पहले जरूरी स्टाफ की तैनाती की जा सकती है।
वहीं प्रश्नकाल के दौरान विधायक सुखराम ने चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के प्रतिनियुक्ति पर दूसरी जगह और राज्यों में जाने का मामला उठाया। हिमाचल के स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने डॉक्टरों की प्रतिनियुक्तियों कों रद्द करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने कहा किया कि प्रदेश के सभी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्तियां रद्द की जाएंगी। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की कमी को देखते हुए सभी प्रतिनियुक्तियां तुरंत प्रभाव से निरस्त की जाएंगी। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि अगर कोई सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिकों में काम करते पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं परमार ने जानकारी देते कहा कि प्रदेश में डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टाफ के 3282 पद रिक्त हैं और निरंतर प्रक्रिया के तहत सरकार इन पदों को भरने के लिए प्रयासरत है।