गरीब माँ के पास न थे इतने पैसे कि खरीद सके बेटी “दीपिका” की सांसें

  • मदद की आस लिए माँ से हमेशा के लिए जुदा हो गई बेटी “दीपिका”

शिमला : केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक हर राज्य में “बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ” को प्रोत्साहित व सहयोग करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन वास्तविकता के दायरे में कितने सफल हो पाते हैं कितने नहीं इसका हिसाब लगा पाना शायद मुमकिन ही नहीं। बेटियों के लिए चलाई गई योजनाओं से अगर किसी को थोड़ा सा भी लाभ मिल जाता है तो उसका खूब प्रचार-प्रसार होता है। लेकिन वास्तविकता में जिन्हें मदद की सबसे ज्यादा दरकार होती है उसे कोई नहीं पूछता!

सरकार से उम्मीद की आस बंधी तो गरीब माँ को लगा अब बेटी ठीक हो जाएगी। लेकिन ईलाज में देरी के चलते मदद की उम्मीद लगाए माँ की बीमार बेटी हमेशा-हमेशा के लिए उससे जुदा हो गई। यहाँ बात हो रही है सोलन के अर्की उपमंडल दाडलाघाट के नजदीक कशलोग पंचायत के फगवाना गांव की निवासी अमरा देवी और स्व. खेम चन्द की बेटी दीपिका की। जिसकी शुक्रवार देर रात पीजीआई चंडीगढ़ में मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक 16 वर्ष की दीपिका की दोनों किडनियां खराब हो गई थी। महंगे ईलाज के चलते गरीब परिवार ने अपनी बेटी को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया। हालांकि दीपिका की मां किडनी देने को तैयार थी परन्तु उनके पास बाकि के ईलाज के लिए इतने पैसे नहीं थे कि वह दीपिका की सांसे खरीद सकते। जबकि मीडिया के जरिए मदद की गुहार लगाने पर कुछ लोगों द्वारा भी सहयोग किया गया जो कि काफी कम था। वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी इस बाबत सहायता के लिए गुहार लगाई गई था, उसके बावजूद भी परिवार को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल पाई और गरीब माँ ने बीमारी से संघर्ष कर रही बेटी को जिन्दगी की जंग से लड़ते-लड़ते हमेशा के लिए खो दिया।

 

 

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