"वर्ल्ड टीबी डे” पर शिमला पहुंचे 15 देशों के 24 प्रतिनिधि, पंचायत स्तर देंगे लोगों को "टीबी" के बारे में जानकारी

“वर्ल्ड टीबी डे” पर शिमला पहुंचे 15 देशों के 24 प्रतिनिधि, पंचायत स्तर देंगे लोगों को “टीबी” के बारे में जानकारी

शिमला: “वर्ल्ड टीबी डे” के अवसर पर 15 देशों के 24 प्रतिनिधि शिमला पहुंचे। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की 2016 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 15 साल से छोटे 10 लाख बच्चे टीबी का शिकार होते हैं। इन 1 मिलियन बच्चों में से 2 लाख 10 हजार से ज्यादा बच्चों की इसी बीमारी के चलते हर साल मौत भी हो जाती है। और, ये सिर्फ वे बच्चे जो HIV नेगेटिव थे। क्योंकि जिन बच्चों को TB होती है उनके HIV पॉजिटिव होने के चांसेस ज्यादा होते हैं। वहीं, आगे टीबीफैक्ट्स.ओआरजी में छपी इस रिपोर्ट के अनुसार ही 67 मिलियन बच्चों को लैनेंट टीबी है, और हर साल इस TB के 8 लाख 50 हजार बच्चे पीड़ित हो रहे हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों में टीबी के लक्षणों को ना पकड़ पाना। बच्चों में यह गंभीर बीमारी कब घर कर जाती है, इसका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। बड़ों में TB के ये 5 लक्षण होते हैं, लेकिन बच्चों का मामला थोड़ा अलग है।
ऐसे में साल 2025 तक टीबी को पूरी तरह समाप्त करने का मिशन है जो काफी महत्वपूर्ण हैं। इसी उद्देश्य से “वर्ल्ड टीबी डे” के अवसर पर 15 देशों के 24 प्रतिनिधि शिमला पहुंचे। शिमला पहुंचे यह प्रतिनिधि प्रदेश में पंचायत स्तर पर जाकर लोगों को TB के बारे में जानकारी देंगे। कार्यक्रम का उदेश्य टीबी को हराना और टीबी से देश के लोगों बचाना है। यह भारत सरकार के मंत्रालय के सहयोग से चलाया जा रहा पांच दिन का कार्यक्रम है, जिसे हर वर्ष कार्यक्रम किया जाता है। इस बार इसके लिए हिमाचल को चुना गया है।
टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे में फैलती है। सबसे आम फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। खांसने और छींकने के दौरान यह इन्फेक्शन फैलता है और अगर वे खांस भी न रहे हों तो भी इंफेक्शन का पूरा खतरा है। 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे है। इस मौके पर यहां जानते हैं टीबी के क्या है लक्षण और किस तरह से इससे बचा जा सकता है।
ऐसे पहचाने लक्षण:
अगर किसी को दो सप्ताह से ज्यादा दिनों तक खांसी हैं और ये लक्षण नजर आ रहे हैं तो संभल जाएं:

  • बार-बार खांसना
  • खांसते-खांसते बलगम में खून का आना
  • खांसते और सांस लेते वक्त दर्द महसूस होना
  • ब्रॉन्काइटिस में सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस लेते हुए सीटी जैसी आवाज आती है।
  • भूख में कमी
  • थकान और कमजोरी का एहसास
  • रात में पसीना
  • बुखार
  • गले में सूजन
  • पेट में गड़बड़ी
    अगर ये लक्षण आपको नजर आ रहे हैं तो तुरंत जांच केंद्र में जाकर अपने थूक की जांच करवाएं। WHO द्वारा प्रमाणित डॉट्स (DOTS- Directly Observed Treatment) के अंतगर्त अपना उपचार करवाकर पूरी तरह से ठीक होने की पहल करें। लेकिन इस इलाज को बीच में न छोड़े वरना ये लाइलाज हो जाएगा।

इस बीमारी से खुद को ऐसे बचाएं:

  • टीबी से बचने का सबसे आसान तरीका है कि इम्यूनिटी मजबूत करना।
  • न्यूट्रिशन से भरपूर खासकर प्रोटीन डायट (सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि) का सेवन करना चाहिए।
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
  • कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर नहीं रहना चाहिए।
  • टीबी के मरीज से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहना चाहिए।
  • ऐसे मरीज को मास्क पहनाकर रखना चाहिए।
  • टीबी के मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंदकर डस्टबिन में डाल दें
  • सबसे पहला और प्रभावी बचाव का तरीका यह है कि नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद अथवा 6 सप्ताह तक अन्य टीकों के साथ बीसीजी का भी टीका आवश्यक रूप से लगवा देना चाहिए।
  • रोगी के निकट संपर्क में आए घर के सदस्यों अथवा अन्य व्यक्ति चिकित्सक की सलाह से सुरक्षात्मक इलाज के रूप में आईएनएच और एथेमब्यूटाल की दवा नौ महीने तक खा सकते हैं।
  • स्वस्थ जीवन शैली के मदद से भी आप इस रोग से बच सकते हैं। ताजे फल और सब्जी का सेवन, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और फैट युक्त आहार का सेवन जरूर करें।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *