कैबिनेट की बैठक में पूरक अनुदान मांगों को स्वीकृति, विभिन्न श्रेणियों के 25 पदों को भरने की मंजूरी

शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रिमण्डल की बैठक आयोजित की गई जिसमें वर्ष, 2017-18 के लिए पूरक अनुदान मांगों को स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमण्डल ने कांगड़ा ज़िले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवारना को विभिन्न श्रेणियों के 20 पदों के सृजन सहित 50 बिस्तरों वाले नागरिक अस्पताल में स्तरोन्नत करने को स्वीकृति प्रदान की। मंत्रिमण्डल ने मण्डी ज़िले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बालीचौकी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्तरोन्नत करने की स्वीकृति प्रदान की। मंत्रिमण्डल ने कांगड़ा ज़िले के शाहपुर के लेखा एवं लॉटरी विभाग में विभिन्न श्रेणियों के पांच पदों के सृजन सहित उप कोषागार कार्यालय खोलने की स्वीकृति प्रदान की। बैठक में कुल्लू ज़िले की पतली कूहल में अग्निशमन चौकी खोलने की स्वीकृति भी प्रदान की गई।

मंत्रिमण्डल द्वारा लोगों को उनके भवन निर्माण के लिए स्वीकृति तथा  प्रक्रिया के सरलीकरण के उद्देश्य से निदेशक, नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग की शक्तियां 20 नगर पंचायतों के कार्यकारी अधिकारियों अथवा पंचायत सचिवों को हस्तांतरित करने की स्वीकृति प्रदान की गई। इस निर्णय से अब इन शहरी स्थानीय निकायों के लोगों को विभाग में आवेदन नहीं करना होगा, बल्कि एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से सभी स्वीकृतियां व अनुमतियां प्रदान की जाएंगी। इन शहरी स्थानीय निकायों में नगर पंचायत सुन्नी, कोटखाई, जुब्बल, अर्की, राजगढ़, श्री नैनादेवी जी, दौलतपुर, संतोखगढ़, टाहलीवाल, कांगड़ा, नूरपुर, नगरोटा, देहरा, ज्वालामुखी, ज्वाली, चुवाड़ी, सरकाघाट, रिवालसर, करसोग व बंजार शामिल हैं।

मंत्रिमण्डल ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के नेशनल मेडिसनल प्लांट्स बोर्ड के 748.30 लाख रुपये की लागत से निर्मित होने वाले क्षेत्रीय एवं सुगमता केन्द्र के संचालन के लिये आवश्यक कर्मियों सहित मण्डी ज़िले के जोगिन्द्रनगर में स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की। इस केन्द्र को 149.60 लाख रुपये का सालाना अनुदान प्रदान किया जाएगा। इस केन्द्र को स्थापित करने का उद्देश्य औषधीय पौधों के संरक्षण, कृषि, तकनीकी स्तरोन्यन, बिक्री, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान तथा क्षेत्र विशेष गुणात्मक पौध सामग्री इत्यादि का विकास करना है।

मंत्रिमण्डल ने हिमाचली क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को मान्यता प्रदान करने से जुड़े मामले और क्षेत्रीय भाषा तथा बोली में फिल्मों का निर्माण करने वाले हिमाचली फिल्म निर्माताओं को प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिये यथासंभव समाधान तलाशने पर भी चर्चा की ताकि इन फ़िल्मों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार के लिए मान्यता प्रदान की जा सके।

 

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