अजवाइन के जाने फायदे

अजवाइन के जाने फायदे

भारतीय खानपान में अजवाइन का प्रयोग हर मौसम में होता आया है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती का दर्द और कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी, मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है। आयुर्वेद के अनुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गर्म, चटपटी, कड़वी और पित्तवर्द्धक होती है। पाचक औषधियों में इसका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है। आइए हम आपको अजवाइन के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ के बारे में जानकारी देते हैं।

अजवाइन का प्रयोग हर मौसम में

अजवाइन का प्रयोग हर मौसम में

सर्दी जुकाम में: बंद नाक या सर्दी जुकाम होने पर अजवाइन को दरदरा कूट कर महीन कपड़े में बांधकर सूंघें। सर्दी में ठंड लगने पर थोड़ी-सी अजावाइन को अच्छी तरह चबाएं और चबाने के बाद पानी के साथ निगल लें। ठंड से राहत मिलेगी।

पेट खराब होने पर: पेट खराब होने पर अजवाइन को चबाकर खाएं और एक कप गर्म पानी पीएं। पेट में कीड़े हैं तो काले नमक के साथ अजवाइन खाएं। लीवर की परेशानी है तो 3 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम नमक भोजन के बाद लेने से काफी लाभ होगा। पाचन तंत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर मट्ठे के साथ अजवाइन लें, आराम मिलेगा।

वजन कम करें: अजवाइन मोटापे कम करने में भी उपयोगी होती है। रात में एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान कर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है।

 मसूड़ों में सूजन: मसूड़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूंदों को गुनगुने पानी में डालकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। सरसों के तेल में अजवाइन डाल कर गर्म करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर दर्द से आराम मिलेगा।

 मुंह की दुर्गंध: मुंह से दुर्गध आने पर थोड़ी सी अजवाइन को पानी में उबाल लें। इस पानी से दिन में दो से तीन बार कुल्ला करने पर मुंह की दुर्गंध समाप्‍त हो जाती है।

खांसी होने पर: अजवाइन के रस में दो चुटकी काला नमक मिलाकर उसका सेवन करें और उसके बाद गर्म पानी पी लें। इससे आपकी खांसी ठीक हो जाएगी। आप काली खांसी से परेशान हैं तो जंगली अजवाइन के रस को सिरका और शहद के साथ मिलाकर दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच सेवन करें, राहत मिलेगी।

 सर्दी-जुकाम : अजवाइन को गर्म करके पतले कपड़े में पोटली बाँधकर सूँघने से जुकाम और सर्दी में लाभ होता है। इसके अलावा अजवाइन को चबाने और उसका धुआँ तथा बफरा लेने से भी सर्दी-जुकाम में लाभ होता है और शरीर का दर्द तथा माथे का भारीपन दूर होता है।

प्रसूता स्त्रियों : प्रसूता स्त्रियों को अजवाइन देने से उन्हें भूख लगती है, अन्न पचता है, कमर का दर्द कम होता है और गर्भाशय की गंदगी साफ हो जाती है। प्रसूतिका ज्वर में भी अजवाइन बहुत लाभदायक है। प्रसूता स्त्रियों को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी चाहिए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव होता है।

अफारा या आफरा : छः माशा अजवाइन में डेढ़ माशा काला नमक मिलाकर फंकी लेकर गर्म पानी पीना चाहिए। इस चूर्ण की दोनों समय दो माशा फंकी लेने से वायु गोला का नाश होता है और पेट का फूलना बंद हो जाता है।

 मंदाग्नि : अजवाइन, कालीमिर्च और सेंधा नमक तीनों चीजों को पीसकर गर्म जल के साथ प्रातःकाल फंकी लेने से उदर शूल, पेट का दर्द और मंदाग्नि मिटती है।

आँतों की वेदना : अजवाइन सेंधा नमक, संचरा नमक, यवक्षार और हर्रे इन सबका समान भाग लेकर चूर्ण करके पाँच से दस रत्ती तक की मात्रा लेने से आँतड़ियों की वेदना और उदरशूल दूर होता है।

सूखी खाँसी : अजवाइन को पान में रखकर चबाकर खाने से सूखी खाँसी में लाभ पहुँचता है।

जोड़ों का दर्द : इसके तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

बच्चों की उल्टी : बच्चों की उल्टी और दस्त मिटाने के लिए अजवाइन को पीसकर माँ के दूध के साथ देने से लाभ होता है।

चर्म रोग : अजवाइन को पानी में गाढ़ा पीसकर दिन में दो बार लेप करने से दाद, खाज, कृमि पड़े हुए घाव तथा अग्नि से जले हुए स्थान में लाभ होता है।

रजो दोष : अजवाइन के चूर्ण को तीन माशा की मात्रा में दिन में दो बार गर्म दूध में देने से स्त्रियों का रज खुल जाता है।

कृमि रोग : इसके चूर्ण की चार माशे की मात्रा छाछ के साथ लेने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।

नेत्र रोग : अजवाइन को जलाकर उसका कपड़छन चूर्ण करके जस्ते की सलाई से सुर्मे की तरह आंजने से आँखों के रोग में लाभ मिलता है तथा दाँतों पर मलने से दाँत साफ होते हैं तथा मसूढ़ों के रोग मिट जाते है।

वात व्याधि : खुरासानी अजवाइन को पीसकर लेप करने से गठिया, संधिवात, जोड़ों की सूजन में लाभ होता है।

दाँत का दर्द : खुरासानी अजवाइन को राल के साथ पीसकर दाँतों के खोखले में रखने से लाभ होता है।

पेट का दर्द : खुरासानी अजवाइन को गुड़ में मिलाकर लेने से पेट की वायु पीड़ा मिटती है।

पेट के कीड़े : प्रातःकाल थोड़ा गुड़ खाकर बासी पानी के साथ खुरासानी अजवाइन की फंकी लेने से पेट की कीड़े निकल जाते हैं।

फुस्फुस संबंधी रोगों में अजवाइन लेने से कफ का पैदा होना कम हो जाता है और घबराहट मिट जाती है। दमे के रोगों में इसको गर्म पानी के साथ देने से अथवा इसको चिलम में रखकर इसका धूम्रपान करने से लाभ होता है। फुस्फुस के जीर्ण रोगों में यह बहुत लाभदायक है।

अजवायन (Thyme) एक झाड़ीनुमा वनस्पति है जो मसाला एवं औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है।

सरसों के तेल में अजवायन डालकर अच्छी तरह गरम करें। इससे जोड़ों की मालिश करने पर जोड़ों के दर्द में आराम होता है।

दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें।दाद एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा।

सर्दी, गर्मी के प्रभाव के कारण गला बैठ जाता है। बेर के पत्तों और अजवाइन को पानी में उबालकर,

छानकर उस पानी से गरारे करने पर लाभ होता है।

अजवायन, काला नमक, सौंठ तीनों को पीसकर चूर्ण बना लें। भोजन के बाद फाँकने पर अजीर्ण, अशुद्ध वायु का बनना व ऊपर चढ़ना बंद हो जाएगा।

खीरे के रस में अजवायन पीसकर चेहरे की झाइयों पर लगाने से लाभ होता है।

अजवायन, सौंफ, अदरक पाउडर और नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर इसे दिन में तीन बार एक चम्मच देसी घी के साथ खाएं। यह भूख जगाने में सहायक है।

1 चम्मच फिटकिरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे सिर में होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर निकल जाती हैं।

 अजवाइन का अधिक सेवन हानिकारक भी है –

अजवाइन पित्त प्रकृति वालों में सिर दर्द पैदा करती है और दूध कम करती है। अजवाइन ताजी ही लेनी चाहिए क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश नष्ट हो जाता है जिससे यह वीर्यहीन हो जाती है। काढ़े के स्थान पर रस या फांट का प्रयोग बेहतर है। अजवाइन का अधिक सेवन सिर में दर्द उत्पन्न करता है।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *