- प्रश्न : इसका उपचार किस तरह से संभव है?
उत्तर : गले की खराश, कोल्ड और फ्लू के वायरस के कारण ही होती है। गले के छोटे संक्रमण तो कई बार खुद ही दूर हो जाते हैं। लेकिन स्ट्रेन्टोकॉक्कस जैसे संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं लेना बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा बैक्टीरिया या वायरस आदि को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ उपचार हैं-
- गले की नमी बनाए रखने के लिए पानी और जूस जैसे तरल पदार्थ को खूब पिएं।
- नमक के गुनगुने पानी से गरारे करें। इससे गले में आराम मिलेगा।
- गंभीर संक्रमण की स्थिति में जब कुछ दिनों में आराम न हो, तब ही एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
- अदरक, इलायची और काली मिर्च वाली चाय गले की खराश में बेहद आराम पहुंचाती है। साथ ही इस चाय में जीवाणुरोधक गुण भी हैं। इस चाय को नियमित रूप से पीने से गले को आराम मिलता है और खराश दूर होती है।
- धूम्रपान न करें और ज्यादा मिर्च-मसाले वाला भोजन न लें।
- खान-पान में विशेष तौर पर परहेज बरतें। फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं, न ही अन्य ठंडी चीजें खाएं। एहतियात ही इस परेशानी का हल है।
गले का संक्रमण आमतौर पर वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। इसके अलावा फंगल इंफेक्शन भी होता है, जिसे ओरल थ्रश कहते हैं। किसी खाने की वस्तु, पेय पदार्थ या दवाइयों के विपरीत प्रभाव के कारण भी गले में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा गले में खराश की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है। खानपान में त्रुटियां जैसे ठंडे, खट्टे, तले हुए एवं प्रिजर्वेटिव खाद्य पदार्थों को खाने और मुंह व दांतों की साफ-सफाई न रखने के कारण भी गले में संक्रमण की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
प्रश्न : कान की बीमारी के कारण क्या है?
उत्तर : जैसा की कहा गया है कि हर इंसान के पास मोबाईल फोन है और दिन भर कान में हेड फोन्स लगाए रहता है। हमेशा संगीत बजते रहने से भी नई-नई बीमारियां पैदा होती हैं। कान में लीड लगाकर संगीत सुनने से कानों का संतुलन खराब हो जाता है और कम उम्र में ही कम सुनाई देना, कान का बहना और कान में फंगस का जमना आदि रोग होने लगते हैं। हर इंसान के तीनों अंग कान-मस्तिष्क और नाक आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। ऐसे में हर समय कानों में संगीत का बजना पूरे सिर को दर्द देने लगता है।
- प्रश्न : कान की समस्या की वजह क्या है और इससे बचने के क्या उपाय और लक्षण हैं?
उत्तर : सुनने की क्षमता में कमी आने के शुरुआती लक्षण बहुत साफ नहीं होते, लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि सुनने की क्षमता में आई कमी वक्त के साथ धीरे-धीरे और कम होती जाती है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके, इसका इलाज करा लेना चाहिए। सामान्य बातचीत सुनने में दिक्कत होना, खासकर अगर बैकग्राउंड में शोर हो रहा हो। बातचीत में बार-बार लोगों से पूछना कि उन्होंने क्या कहा। फोन पर सुनने में दिक्कत होना। बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा तेज आवाज में टीवी या म्यूजिक सुनना।
इसके अलावा मेनिंजाइटिस, खसरा, कंठमाला आदि बीमारियों से भी सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। जब तक हमें पता चलता है कि हमें वाकई सुनने में कोई दिक्कत हो रही है, तब तक हमारे 30 फीसदी सेल्स नष्ट हो चुके होते हैं और एक बार नष्ट हुए सेल्स हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। उन्हें दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता।
- प्रश्न : किन-किन बातों का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए?
उत्तर : अक्सर यह देखा जाता है कि बातों-बातों में लोग कानों में माचिस, पेन व उंगली से खुजली करने लगते हैं। यह बहुत ही गलत आदत है। कुछ देर के लिए यह आपको राहत दे सकती है लेकिन आपके कानों के पर्दे की उम्र कम कर देती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कान के पर्दे नाजुक होते हैं जो किसी नुकीली वस्तु के इस्तेमाल से हट जाते हैं और कम उम्र में ही अच्छी तरह से सुनाई देना बंद हो जाता है। कानों की सफाई हमेशा ईयर बड से ही करें।
वहीं इनका उपचार खुद कभी न करें हमेशा ईएनटी के डॉक्टर से सही परामर्श लें और अपना सही इलाज करवाएं। इन्फेक्शन की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई है, तो इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है। अगर पर्दा डैमेज हो गया है, तो सर्जरी करनी पड़ती है। कई बार पर्दा डैमेज होने का इलाज भी दवाओं से ही हो जाता है। नर्व्स में आई किसी कमी की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई तो जो नुकसान नर्व्स का हो गया है, उसे किसी भी तरह वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसे में एक ही तरीका है कि हियरिंग एड का इस्तेमाल किया जाए। हियरिंग एड फौरन राहत देता है और दिक्कत को आगे बढ़ने से भी रोकता है। ऐसी हालत में हियरिंग एड का इस्तेमाल नहीं करते, तो कानों की नर्व्स पर तनाव बढ़ता है और समस्या बढ़ती जाती है।