- 2017-18 में बागवानी विभाग के लिये कुल 424 करोड़ का बजट परिव्यय प्रस्तावित
- गुणवत्ता वाली पौध व इंडोर पौधों के उत्पादन के लिए एक नई पौधशाला प्रोत्साहन योजना
- ग्रामीण युवाओं के लिए छोटे प्रशिक्षण पाठ्यक्रय
शिमला: कृषि के लिए मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि मैं गुणवत्ता वाली पौध तथा इंडोर पौधों के उत्पादन के लिए एक नई पौधशाला प्रोत्साहन योजना लाने की घोषणा करता हूँ। यह योजना पौध उत्पादकों को प्रोत्साहित करेगी। विकास के लिए राज्य के निम्न ऊँचाई वाले क्षेत्रों में क्लस्टर बनाए जाएंगे तथा उत्पादों के सीधे विपणन के लिए ई-विपणन को प्रोत्साहित किया जाएगा। बागवानी फसलों को ओलावृष्टि से बचाने के लिए 25 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती में लाया जाएगा जिसमें एंटी हेलनेट का क्षेत्र भी शामिल होगा। हम 2 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती के अंतर्गत लाएंगे जिसमें फूलों और उच्च मूल्य की सब्जियों का उत्पादन होगा।
आम, लीची, अमरूद, पपीता, सपोटा, अनार आदि फलों के मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन, कल्मीकरण व कटाई, टिशु कल्चर तथा पॉलीहाऊस निर्माण में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। ग्रामीण युवाओं के लिए छोटे प्रशिक्षण पाठ्यक्रय तैयार करेंगे। इसके लिए कुल 3 करोड़ का बजट परिव्यय प्रस्तावित। 2017-18 में बागवानी विभाग के लिये कुल 424 करोड़ का बजट परिव्यय प्रस्तावित।
- “मुख्य मन्त्री खेत संरक्षण योजना” के अन्तर्गत सौर ऊर्जा बाड़ हेतु उपदान राशि में 60 से 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी
मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह ने अपने बजट भाषण में कहा कि जंगली जानवरों तथा बन्दरों की समस्या से निपटने हेतु “मुख्य मन्त्री खेत संरक्षण योजना” आरम्भ की थी जिसमें 60 प्रतिशत उपदान दिया जाता है। सदन के सदस्यों ने इस उपदान को बढ़ाने का निवेदन किया है। मैंने उनके अनुरोध पर विचार किया तथा मुझे यह घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है कि “मुख्य मन्त्री खेत संरक्षण योजना” के अन्तर्गत सौर ऊर्जा बाड़ हेतु उपदान राशि 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत की जा रही है। कृषकों को स्वयं भी सौर बाड़ स्थापित करने का विकल्प दिया गया है बशर्ते कि तकनीकी मापदण्ड पूर्ण किए गए हों। इसके लिए मैं वर्ष 2017-18 में 30 करोड़ का बजट परिव्यय प्रस्तावित करता हूँ।