- इस वर्ष लगभग 70,000 कि्ंवटल पीला रतुआ रोधी किस्म गेहूं का बीज प्रदेश के किसानों को अनुदान पर किया गया वितरित
- लगभग 15,000 किलो ग्राम कार्बेन्डाजिम फफुंदनाशक बीज दी गई है उपचार के लिए
- अभी तक प्रदेश के किसी भी जिला से पीला रतुआ के प्रकोप की कोई सूचना नहीं
- जब कभी रोग के लक्षण दिखाई दे, तो तुरन्त दवाई का करें स्प्रे, जानकारी के लिए निकट के कृषि विशेषज्ञ से करें सम्पर्क

कृषि निदेशक डॉ. रमेश चन्द
शिमला: गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाने के लिए कृषि विभाग ने विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। जिसके अंतर्गत किसानों को इस रोग के बारे में जानकारी दी जाएगी। गेहूं प्रदेश की मुख्य रबी फसल है, जिसके अंतर्गत 3.58 लाख हैक्टेयर क्षेत्र है व करीब 7 लाख टन उत्पादन है। कृषि निदेशक डॉ. रमेश चन्द ने जानकारी देते हुए बताया कि लगातार कम तापमान व नमी वाला मौसम इस रोग के लिए बड़ा अनुकूल होता है, इसलिए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विभाग ने इस रोग की रोकथाम के लिए कार्य योजना तैयार की है, जिसके अनुसार कृषकों को केवल गेहूं की रोग रोधी किस्मों का बीज वितरित किया गया है। इस वर्ष लगभग 70,000 कि्ंवटल पीला रतुआ रोधी किस्म गेहूं का बीज प्रदेश के किसानों को अनुदान पर वितरण किया गया है। इसके साथ ही लगभग 15,000 किलो ग्राम कार्बेन्डाजिम फफुंदनाशक बीज उपचार के लिए दी गई है। कृषकों को रोग बारे जानकारी देने के लिए कृषक प्रशिक्षण शिविर व प्रदर्शन प्लाट लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बीमारी की पहचान व रोकथाम के लिए प्रचार सामग्री किसानों में वितरित की गई है तथा जन संचार माध्यमों द्वारा भी प्रसार किया जा रहा है।
डॉ. रमेश चन्द ने कहा कि अभी तक प्रदेश के किसी भी जिला से पीला रतुआ के प्रकोप की कोई सूचना नहीं है। बीमारी के लक्षण दिखते ही प्रोपिकोनाजोल फफूंदनाशक का 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है। एक कनाल के लिए 30 मिलीलीटर दवा 30 लीटर पानी में या एक बीघे के लिए 60 मिलीलिटर दवा 60 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव 15-20 दिनों के बाद करें। फफूंदनाशक 50 प्रतिशत उपदान पर कृषकों को दिया जा रहा है। इस वर्ष 10,000 लीटर प्रोपिकोनाजोल फफूंदनाशक दवाई विभाग के कृषि विक्रय केन्द्रों के द्वारा किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अतिरिक्त कृषि विश्वविद्यालय व विभाग की संयुक्त टीम द्वारा हर माह गेहूं के खेतों का निरीक्षण किया जा रहा है तथा किसानों को उचित सलाह दी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को गेहूं की फसल की निगरानी करते रहना चाहिए और जब कभी रोग के लक्षण दिखाई दे, तो तुरन्त दवाई का स्प्रे करें तथा और जानकारी के लिए निकट के कृषि विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।