गोविन्द सागर जलाश्य में मत्स्य विक्रय के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगीः वीरेन्द्र कंवर

देश में वर्ष 2015-16 में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का मत्स्य उत्पादन

  • भारत मत्स्य-उत्पादों के निर्यात में विश्‍व में प्रथम स्‍थान पर रहा
  • नीली क्रांति” का मकसद मछली उत्‍पादन बढ़ाना और 8 प्रतिशत की दर से सालाना उत्पादन हासिल कर 2020 तक 15 मिलियन टन का आंकड़ा छूना : राधा मोहन सिंह

नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में मात्स्यिकी और जल कृषि में हुई तेज प्रगति से मछली पालकों और किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है और आने वाले दिनों में यह बड़े पैमाने पर मछली पालकों और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने ये बात आज विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में कही। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पशुधन विकास, किसानों की आय दोगुनी करने की सबसे अच्छी रणनीति है। यही वजह है कि वर्ष 2016-17 के लिए इस विभाग के लिए रु॰ 1700 करोड़ का बजट रखा गया है, जो पिछले वर्ष से 21% अधिक है। सिंह ने कहा कि खुशी की बात है कि इस वर्ष, 72% से अधिक बजट राज्यों के विकास के लिए जारी कर दिया गया है जो पिछले वर्षों मे इतनी तेजी से कभी नही हुआ। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब राज्यों की ज़िम्मेदारी है कि वे इसे उचित तरीके से खर्च करें और फ़ंड पार्किंग न करें।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि मछली पालन से तीन फ़ायदे होंगे, पहला, मत्स्य किसानों की आय मे बढ़ोत्तरी, दूसरा, देश के निर्यात तथा GDP मे अधिक प्रगति, तथा तीसरा, देश में पोषण तथा खाद्य-सुरक्षा की सुनिश्चितता। केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि पशुधन, डेयरी, मात्स्यिकी विभाग पिछले 6 महीनों से अथक प्रयास कर कई नई योजनाओ को अंजाम दे रहा है। विभाग ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, देशी गाय की नस्लों के सुधार हेतु ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’, चौपायों तथा भेड़ बकरी की उच्च नस्ल के विकास हेतु ‘राष्ट्रीय लाईवस्टॉक मिशन’ आदि चलाया है। सिंह ने बताया कि अकेले दुग्ध उत्पादन का मूल्य जो कि वर्ष 2014-15 मे रु॰ 4.92 लाख करोड़ था, का धान व गेहूं के सकल उत्पादन से 37% तक अधिक है। वर्ष 2015-16 के अनुमान के अनुसार लगभग रु॰1 लाख करोड़ का मत्स्य उत्पादन देश में हुआ है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मछली उत्पादन में भारत, विश्व में चीन के बाद लगातार दूसरे नंबर पर बना हुआ है। देश में मात्स्यिकी एक बड़ा सेक्‍टर है और लगभग 150 लाख लोग मत्स्य व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। श्रीम्प (झींगा) मछली में भारत विश्व में प्रथम स्थान रखता है और यह झींगा का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter) है। सिंह ने बताया कि सभी मत्स्य उत्पादन मिलाकर, वर्ष 2015-16 में देश मे अनुमानित 10.8 मिलियन टन मछली उत्पादन हुआ, जो कि विश्व के कुल मछली उत्पादन का लगभग 6.4 प्रतिशत है। भारत जल कृषि से मछली उत्‍पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक (42.10 लाख टन) देश है। वैश्विक जलकृषि उत्‍पादन में यह लगभग 6.3 प्रतिशत का योगदान करता है। पिछ्ले एक दशक मे जहां विश्‍व में मछ्ली एवं मत्स्य-उत्पादों के निर्यात की औसत वार्षिक विकास दर 7.5 प्रतिशत रही, वही भारत मत्स्य-उत्पादो के निर्यात मे 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर के साथ विश्‍व में प्रथम स्‍थान पर रहा।

राधा मोहन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में मात्स्यिकी सेक्टर तथा किसानों के हित में लगातार नयी -नयी योजनाएं बनाई और उन्हें देश भर में सफलतापूर्वक लागू किया। उन्होंने कहा कि मात्स्यिकी की सफलता भी सरकार के निरंतर प्रयासों का नतीजा है। विश्व् मात्स्यिकी दिवस भी उनकी सरकार बनने के बाद से ही गत दो वर्षों से मनाया जा रहा है। सिंह ने कहा कि माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के समस्त विकास का नारा तथा विजन दिया है- किसानों की आय को दुगुना करना। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार ने मत्स्य विकास पर जोर दिया है और एक्वाकल्चर तथा समुद्री (marine) फिशरीज़ द्वारा मत्स्य पालकों तथा मछुआरों, किसानों की आय वर्ष 2022 तक दो गुना करने का लक्ष्य रखा है।

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