मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप/नवीन परियोजना/ राज्य के युवाओं के लिए वरदान : उद्योग मंत्री

  • राज्य सरकार शुरू करेगी वार्षिक उद्यमिता पुरस्कार

शिमला : प्रदेश सरकार ने राज्य में ‘स्टार्ट-अप’ तथा ‘नवीन परियोजनाओं’ को बढ़ावा देने तथा युवाओं को कौशल प्रदान करने तथा संभावनाशील निवेशकों में उद्यमिता विकसित करने के उद्देश्य से नौकरी के इच्छुक शिक्षित युवाओं को रोजगार सृजक में परिवर्तित करने के लिए मुख्यमंत्री स्टार्ट-अप/नवीन परियोजना/नए उद्योग योजना आरम्भ की है। यह जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां कहा कि उद्यमियों को अपने उद्यमों में सफलता हासिल करने के उद्देश्य से योजना में स्टार्ट-अप के लिए अनेक प्रोत्साहनों पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि योजना में क्षमता निर्माण, नेटवर्किंग विकसित करने, आवश्यक ढांचा स्थापित करने तथा जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से राज्य के ‘मेजबान संस्थानों’ में उष्मायन केन्द्रों के सृजन का प्रावधान भी किया गया है।

अग्निहोत्री ने कहा कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्वरोजगार एवं रोजगार सृजित करना, उद्यमिता कौशल विकास तथा पेशेवर मार्गदर्शन प्रदान कर नए उद्यमियों को अपनी इकाईयां स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि संभावनाशील निर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में व्यावहारिक परियोजनाओं के चयन में उद्यमियों की सहायता करना, उन्हें आकर्षित करना तथा स्टार्ट-अप स्थापित करने एवं इनके व्यावसायिक संचालन के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना भी योजना का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित नवीन क्षेत्र, ग्रामीण अधोसंरचना एवं सुविधाएं, शिल्प, जल एवं स्वच्छता, नवीनीकरण उर्जा, स्वास्थ्य चिकित्सा, स्वच्छ तकनीक, कृषि, बागवानी एवं संबद्ध क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण, खुदरा, पर्यटन एवं आतिथ्य संस्कार, मोबाईल, सूचना प्रौद्योगिकी एवं बायो-टैक्नालॉजी योजना के मुख्य बिन्दु हैं, जिनपर विशेष बल दिया गया है।

उद्योग मंत्री ने कहा कि सरकार राज्य में इन्क्यूबेटर (उष्मायन) केन्द्रों की स्थापना के लिए आईआईटी, एनआईटी जैसे जाने-माने तकनीकी संस्थानों, आईआईएम एवं आरएण्डडी संस्थानों, अन्य विश्वविद्यालयों व 31.03.2016 को कम से कम पांच वर्षों से स्थापित निजी कालेजों/विश्वविद्यालयों जैसे मेजबान संस्थानों को भी प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में पी.पी.पी. आधार पर इन्क्यूबेटर्ज स्थापित करने के लिए जाने-माने इन्क्यूवेटर्ज के साथ समझौता ज्ञापन कर सकती है अथवा राज्य में इन्क्यूबेटर्ज (उष्मायन) सुविधा की स्थापना के लिए राष्ट्रीय आरएण्डडी, प्रबन्धन तथा प्रौद्योगिकी संस्थानों से तालमेल कर सकती है। अग्निहोत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में नए उद्योगों एवं स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए हि.प्र. विश्वविद्यालय शिमला, चैधरी सरवण कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, डा. वाई.एस.परमार वानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय सोलन नौणी, एनआईटी हमीरपुर, आईआईटी मण्डी, आईआईएम पांवटा साहिब जैसे मौजूदा संस्थानों में इन्क्यूबेटर्स की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार उपयुक्त अधोसंरचना को विकसित करने की भी सुविधा प्रदान करेगी।

उद्योग मंत्री ने कहा कि सभी नवीन उद्यमों को केवल ऑनलाईन अथवा निजी तौर पर स्वप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी और संबंधित विभाग दस्तावेजों के प्रस्तुत करने के 15 दिनों के भीतर अस्थायी पंजीकरण जारी करेगा। उन्होंने  कहा कि जिन परियोजना की संस्तुति मेजबान संस्थान द्वारा तथा प्राधिकृत समिति द्वारा स्वीकृत की जाती है, ऐसी नवीन परियेाजनाओं को एक वर्ष के लिए 25 हजार रुपये बतौर पौषण भत्ता प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उष्मायन केन्द्र निःशुल्क परामर्शी सेवाएं, अपनी प्रयोगशालाओं का उपयोग इत्यादि जैसी सुविधाएं प्रदान कर स्टार्ट-अप एवं नवोन्मेष परियोजनाओं का सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि बाजार में अपने उत्पादों की शुरूआत के लिए नवाचार परियोजना को अधिकांश 10 लाख रुपये की विपणन सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, इन्क्यूबेटिड स्टार्ट-अप कम्पनी को पेटेंट आवेदन प्रस्तुत करने तथा इसकी प्रक्रिया के लिए प्रति आवेदन दो लाख रुपये अथवा वास्तविक लागत, जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक विषय पर विदेशी पेटेंट प्रदान करने पर 10 लाख रुपये अथवा वास्तविक लागत, जो भी कम हो की प्रतिपूर्ति भी की जाएगी।

अग्निहोत्री ने कहा कि इन्क्यूबेटर अथवा अन्य सुविधाएं स्थापित करने के लिए चयनित संस्थानों को तीन वर्षों के लिए 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंनें कहा कि किसी इन्क्यूबेटर को यदि सरकारी भवन पट्टे पर दिए जाते हैं तो इसके लिए तीन वर्षों तक किसी प्रकार का पट्टा किराया नहीं लिया जाएगा। यदि पट्टे अथवा किराए पर निजी परिसर लिया जाता है, तो प्रतिमाह 5 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से अथवा वास्तविक दिए गए किराए का 25 प्रतिशत, दोनों में जो भी कम हो की दर से तीन वर्षों के लिए किराए की प्रतिपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप/नए उद्योग/नवीन परियोजनाएं व्यवहार्यता अध्ययन/परियोजना लागत अनुदान के लिए पात्र होंगी। यह अनुदान कुल लागत का 75 प्रतिशत जो अधिकतर एक लाख रुपये होगा, प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सूक्षम क्षेत्र में 25 लाख रुपये तक के निवेश के नए स्टार्ट-अप, जिनमें कम से कम 5 कर्मचारी तैनात किए गए हों तथा अधिसूचित राष्ट्रीयकृत बैंकों अथवा राज्य सहकारी बैंकों से ऋण प्राप्त कर रहे हों, को तीन सालों के लिए 25 लाख रुपये के ऋण पर ब्याज में 5 प्रतिशत की दर से छूट प्रदान की जाएगी।

उद्योग मंत्री ने कहा कि राज्य में स्थापित की जाने वाली सभी स्टार्ट-अप/नए उद्योग/नवीन परियोजना इकाईयों से राजस्व विभाग द्वारा अधिसूचना की तिथि से हस्तांतरण विलेख और लीज डीड पर 3 प्रतिशत स्टांप शुल्क वसूला जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि/बागवानी अथवा हर्बल उत्पादों के विद्यायन वाले नए  स्टार्ट-अप/नए उद्योग/नवीन परियोजना इकाईयां तीन वर्षों की अवधि के लिए अथवा जब तक इनका कारोबार दो करोड़ रुपये सालाना तक नहीं हो जाता, वैट/सीएसटी की अदायगी पर छूट प्रदान की जाएगी। राज्य की ‘सी’ श्रेणी क्षेत्रों में स्थापित किए गए समस्त ऐसे नए उद्योग 7 वर्षों की अवधि के लिए सैस, फीस, रायल्टी इत्यादि को छोड राज्य करों की अदायगी से मुक्त रहेंगे। अग्निहोत्री ने कहा कि सूक्ष्म एंव लघु श्रेणियों में स्टार्ट-अप द्वारा तैयार किए गए उत्पादों के लिए राज्य सरकार तथा निजी क्षेत्र उपक्रम द्वारा खरीद को अधिमान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वार्षिक उद्यमिता पुरस्कार भी शुरू करेगी और प्रत्येक वर्ष तीन सफल उद्यमियों को प्रशस्ति पत्र तथा नगद पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।

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