सरकार बाल आश्रम के बेसहारों के सम्पत्ति अधिकारों का करेगी संरक्षण : मुख्यमंत्री

  • अनाथ तथा दिव्यांग बच्चों का पुर्नस्थापन एवं शिक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता
  • विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को किया पुरस्कृत
  • लोक निर्माण विभाग को जारी किए आदर्श बाल गृह का कार्य शीघ्र पूरा करने के निर्देश
  • राज्य में वर्तमान में कुल 18 बाल-बालिका आश्रम कार्यरत : मानसी सहाय
विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को किया पुरस्कृत

विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को किया पुरस्कृत

शिमला : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार बाल आश्रमों तथा पालक देखभाल कार्यक्रम के अंतर्गत रह रहे बेसहारा बच्चों की पैतृक सम्पत्ति में अधिकार सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। वह आज यहां महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अनाथाश्रमों में रह रहे बच्चों के लिए खेल एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता के समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की सम्पत्ति की सूची प्राप्त की जा रही है और यह देखा जाएगा कि सम्पत्ति उनके नाम रहे और किसी व्यक्ति द्वारा बेची अथवा हथियाई न जाए। वीरभद्र सिंह ने कहा कि ‘मुख्यमंत्री बाल उद्धार योजना’ में संशोधन किया गया है, जिसके अनुसार जमा दो के पश्चात अनाथ बच्चों की समुचित आजीविका सुनिश्चित बनाने के लिए उनके व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का खर्च सरकार वहन करेगी तथा उनकी शिक्षा का खर्च भी उठाएगी। उन्होंने कहा कि इन बच्चों के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से व्यावसायिक पाइ्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं तथा सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ तथा दिव्यांग बच्चों का पुर्नस्थापन एवं शिक्षा सरकार की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने उत्कृष्ट शिक्षकों द्वारा शिक्षा प्रदान कर इन बच्चों की प्रतिभा को उजागर करना तथा उनमें निखार के लिए देश के विभिन्न भागों में भ्रमण करवाने पर बल दिया, ताकि वह भारत की विशिष्ट संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को देख सकें और इसे महसूस कर सकें। वीरभद्र सिंह ने विभिन्न खेल एवं सांस्कृतिक स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कार भी वितरित किए। मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन बालिका आश्रम मशोबरा (आदर्श बाल गृह) का कार्य शीघ्र पूरा करने के लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि भवन का निर्माण 2017 ग्रीष्मकाल तक पूरा हो जाना चाहिए। राज्य के विभिन्न बाल एवं बालिका आश्रमों से 398 बच्चों ने इन प्रतियोगिताओं में भाग लिया।

  • राज्य में वर्तमान में कुल 18 बाल-बालिका आश्रम कार्यरत : मानसी सहाय

महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में राज्य में कुल 18 बाल-बालिका आश्रम कार्यरत हैं, जिनमें 1050 बच्चे हैं, जिनमें से 10 आश्रमों का संचालन एवं देखभाल राज्य सरकार द्वारा तथा शेष आठ आश्रम स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, जिनके लिए राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जा रहा है।

ठाकुर ने कहा कि शिमला के हीरानगर में किशोर बच्चों के लिए संप्रेक्षण गृह को शीघ्र क्रियाशील बनाया जाएगा। राज्य बाल कल्याण परिषद की महासचिव राज कुमारी सोनी भी महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित इस अवसर पर उपस्थित थीं। बच्चों ने इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।

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