प्रदेश में विभिन्न बाल-बालिका आश्रमों के संचालन, अनुश्रवण एवं मूलभूत सुविधाओं के लिए इस वर्ष 32 करोड़ रूपये की राशि व्यय

  • पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत 55.77 करोड़ व्यय: धनीराम शांडिल

 

पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत 55.77 करोड़ व्यय: धनीराम शांडिल

पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत 55.77 करोड़ व्यय: धनीराम शांडिल

 शिमला : प्रदेश में लगभग 55.77  करोड़ रूपये की राशि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत व्यय की जा रही है। यह जानकारी आज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. धनीराम शांडिल महिला एवम् बाल विकास विभाग द्वारा टुटीकंडी बालाश्रम में बाल-बालिका आश्रमों की खेलकूद प्रतियोगिता के दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए अपने सम्बोधन में दी।

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत छः माह से 6 वर्ष तक के 4 लाख 30 हजार बच्चों, एक लाख 2 हजार गर्भवती व धात्री माताओं तथा एक लाख किशोरियों को पोषाहार प्रदान किया गया हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में विभिन्न बाल-बालिका आश्रमों के संचालन, अनुश्रवण एवं उनमें मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करवाने के लिए इस वर्ष 32 करोड़ रूपये की राशि व्यय की जा रही हैं।

उन्होंने बताया कि इसके तहत आश्रमों में रह रहे बालक-बालिकाओं को भोजन, आवास व मूलभूत सुविधाओं के अतिरिक्त स्वास्थ्य जांच एवम् वोकेशनल ट्रेनिग भी प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने बच्चों से नियमित तौर पर खेलों मे भाग लेने को कहा। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में खेल जगत में भी भविष्य निर्माण की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि यह तभी सम्भव हैं जब खेल को खेल की भावना और अनुशासन के साथ खेला जाए। उन्होंने डैहर और पांगी के बीच जुनियर कब्बडी मुकाबले का आनंद भी लिया।

  • ऐसे आयोजन बाल गृहों में रह रहे बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में अनूठा प्रयास : मानसी सहाय

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया व आश्रम में बच्चों को उपलब्ध करवाई जा रही विभिन्न सुविधाओं व खेल

बच्चे राष्ट्र की नींव जोकि रखते हैं समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता : : मानसी सहाय

बच्चे राष्ट्र की नींव जोकि रखते हैं समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता : : मानसी सहाय

उपकरणों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजन बाल गृहों में रह रहे बच्चों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में अनूठा प्रयास हैं। उन्होंने कहा कि ये बच्चे राष्ट्र की नींव हैं जो कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने बताया कि गत सांय आयोजित संस्कृतिक कार्यक्रम में प्रदेश उच्च न्यायालय के बाल न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति लोकेन्द्र चंद्र चौहान ने शिरकत की। उन्होंने बच्चों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की व अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किए। उन्होंने आश्रम परिसर का भी निरीक्षण किया। इस अवसर पर विभागीय अधिकारी एवम् कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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