शिमला: राज्य सरकार ने भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी को स्वीकृति हेतु 1200.33 करोड़ रुपये की सड़क शैल्फ का प्रस्ताव सौंपा है। इस नए प्रस्ताव में 1874 किलोमीटर सड़कों तथा 16 पुलों की कुल 318 परियोजनाएं शामिल हैं। हिमालयी राज्यों के लिए संशोधित धनराशि पैटर्न पर केन्द्र तथा राज्य के बीच 90:10 के अनुपात में धनराशि का आवंटन होगा। हिमाचल प्रदेश कुल आवंटन का 10 प्रतिशत योगदान करेगा।
यह जानकारी मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने आज यहां आयोजित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पर राज्य स्तरीय स्टेंडिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
उन्होंने इस पर्वतीय राज्य के दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा प्रदान करने के लिए गुणवत्तायुक्त सड़कों के निर्माण पर बल दिया। उन्होंने वित्त विभाग को नए वित्त पैटर्न के आधार पर राज्य का हिस्सा जारी करने के भी निर्देश दिए। फारका ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 180 करोड़ रुपये के कुल आवंटन के विरूद्ध अभी तक केन्द्र सरकार से 97 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं और इसके विरूद्ध 143 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि विभाग मार्च, 2017 तक 350 करोड़ रुपये खर्च कर सकेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत शेष बची बस्तियों को मार्च, 2019 तक सम्पर्क सड़कों से जोड़ने का कार्य पूरा करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वर्ष 2022 तक निर्धारित इस लक्ष्य को 2019 तक पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, बशर्तें लोग भूमि दान करें।
अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण नरेन्द्र चौहान ने अवगत करवाया कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पिछले 15 वर्षों के दौरान 250 से अधिक से आबादी के 3734 पात्र गांवों को जोड़ने के लिए 14651 किलोमीटर सड़कों के निर्माण को मंजूरी प्रदान की है। इन स्वीकृतियों में से राज्य में 3415 बस्तियों को सड़क सुविधा प्रदान कर 11732 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है। इस प्रकार राज्य ने 81 प्रतिशत भौतिक तथा 69 प्रतिशत वित्तीय उपलब्धियां हासिल की हैं।