शिमला: गत दि नों समाचार पत्रों में ‘व्यापार में सुगमता” के क्षेत्र में हिमाचल की रैंकिंग बारे प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुये उद्योग विभाग के प्रवक्ता ने आज यहां सूचित किया कि प्रकाशित खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। आंकड़ों का हवाला देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि गत वर्ष सितम्बर, 2015 में जब भारत सरकार के औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग ने 98 बिन्दुओं पर राज्यों का आंकलन किया था तो वह एक प्रक्रियाओं के सरलीकरण का शुरूआती दौर था परन्तु उसमें भी हिमाचल का स्कोर 23.95 प्रतिशत था, क्योंकि सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश आर्किषत करने हेतु नियमों के सरलीकरण पर विशेष जोर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि सितम्बर, 2015 के पश्चात जब भारत सरकार ने पुनः 340 बिन्दुओं की व्यापार सुधार कार्य योजना-2016 सब राज्यों को भेजी तो बड़ी तत्परता से कार्य करते हुए प्रदेश सरकार के सभी विभागों ने आपसी समन्वय के साथ प्रदेश के स्कोर को 65.48 प्रतिशत तक पहुंचाया, बेशक प्रदेश ने पुनः 17वॉ स्थान हासिल किया हो। उन्होंने कहा कि भविष्य में और सुदृढ़ता के साथ इस प्रक्रिया को जारी रखा जायेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि 340 बिन्दुओं में से सरकार ने 220 बिन्दुओं को लागू करने में सफलता प्राप्त की है जिनमें पर्यावरण, श्रम, निर्माण नियम, टैक्स सम्बन्धी सुधार प्रमुख हैं । शेष बचे बिन्दुओं पर कार्य जारी है। यह भी स्पष्ट किया गया कि नगर योजना विभाग और कुछ अन्य विभागों ने प्रगति तो की है पर औद्योगिक नीति व संवर्धन विभाग के दिशा निर्देशानुसार जो साक्ष्य विभागों द्वारा दिए गए हैं, उनमें भारत सरकार ने कुछ संशोधन करने को कहा है। मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश स्वयं इस प्रक्रिया पर व्यक्तिगत नज़र रख रहे हैं व शीघ्र ही मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस विषय पर समीक्षा बैठक भी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग के समन्वय से आगामी भविष्य में सब विभागों से मिलने वाली अनुमतियों को सिंगल ऑनलाइन वैब-पोर्टल के माध्यम से दिया जाएगा ताकि उद्यमियों को कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगामी होने वाले ऑकलन में प्रदेश निश्चय ही श्रेष्ठ राज्यों की श्रेणी में खड़ा होगा। प्रक्रियाओं का सरलीकरण एक सतत प्रक्रिया है, जो उद्यमियों व औद्योगिक संगठनों के सक्रिय सहयोग व सुझावों से और गति पकडेगी।