शिमला: पांच माह पहले अलग हुए मासूम आख़िरकार आज अपने असली माता-पिता की गोद में आ तो गये लेकिन उस माहौल में खुशी और गम का अजीब मंजर भी देखने को मिला। माता-पिता की आँखों से आसूं रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पहले से तय किये गये 26 अक्तूबर को यानि आज जितेंद्र के खलीनी स्थित घर में दोनों बच्चों की भाई बहन की तरह अन्न ग्रहण की रस्म की गयी।
जहाँ शीतल को 5 महीने पहले बिछड़ा अपना बेटा मिल गया तो वही अंजना को अपनी असली बेटी। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद दोनों परिवारों ने पूजा अर्चना एवं विधि विधान से अपने बिछड़े बच्चों को पाया।
दरअसल 26 मई को प्रदेश के एकमात्र महिला अस्पताल कमला नेहरू में
बच्चों की अदला-बदली की गई थी। शीतल जो पेशे से नर्स है, पहले उनकी संतान एक बेटी है, जिनका बेटा अंजना को दे दिया गया, जबकि अंजना जिनकी पहली संतान बेटा है। उनको बेटी सौंपी गई। पुलिस डीएनए और कोर्ट के फैसले के आधार पर बुधवार को दोनों के अविभावकों ने अदला-बदली हुए बच्चे वापस पा लिए।
बेटे की असली मां शीतल का कहना है कि अस्पताल में जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए ताकि आगे से इस तरह की लापरवाही सामने न आए। वहीं उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि वे अमानत से मिलते रहेंगे ताकि ये रिश्ता दोनों भाई-बहनों की तरह बना रहे।
उधर कमला नेहरू अस्पताल में बच्चे की अदला-बदली मामले में मंगलवार को पुलिस ने अस्पताल की स्टाफ नर्स पुष्पा देवी व मिड वाइफ रूप देवी को अपनी हिरासत में लिया था। ये दोनों बच्चे अदली-बदली के दौरान लेबर रूम में तैनात थीं।