गांवों के पुनर्निमाण से ही मिलेगी देश को नई दिशा

  • युवा ही निभाएंगे ग्रामीण पुनर्निमाण में अहम भूमिका

शिमला: वैश्वीकरण के दौर में नए भारत के निर्माण के लिए गांवों का पुनर्निमाण आवश्यक है। मौजूदा समय में देश की 71 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण इलाके में रहती है। ऐसे में बिना ग्रामीण पुनर्निमाण के देश के विकास की परिकल्पना करना ही असंभव है। ये पुनर्निमाण सभी के साथ चलने से ही होगा जिसमें युवा सबसे अहम किरदार निभा सकते हैं।

यह कहना है हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय में मंगलवार को देश भर से जुटे शिक्षाविदों का, जो‘ग्रामीण पुनर्निमाण के लिए युवाओं की प्रेरणा’ विषय पर हो रहे ऑरिऐंटेशन प्रोगाम में अपनी बात कह रहे थे। छतड़ी स्थित यूनिवर्सिटी के अस्थायी कैंपस में नैशनल कॉउंसिल ऑफ रुरल इंस्टीट्यूट्स व शिक्षा विभाग तथाहिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की तरफ से हुए इस कार्यक्रम में ग्रामीण विकास पर तमाम विद्वानों ने अपनी राय रखी। यूनिवर्सिटी के प्रति-कुलपति प्रो योगेन्द्र सिंह वर्मा ने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कहा कि बिना गांवों को बढ़ाए विकास की बयार संभव नहीं है। गांवों की अपनी अनूठी संस्कृति है और वहां रहने वालों लोगों की एक दूसरे से जुड़ने की अद्भुत शैली है। ऐसे में उसकी जीवंतता को नए जमाने के साथ बनाए रखना आवश्यक है और इस प्रयास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना होगा। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में चिन्मय फाउंडेशन के नरेन्द्र पॉल ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण पुनर्निमाण में स्थानीय सहयोग  के बिना बदलाव लाना संभव नहीं है। सरकार या समाज की तरफ से अगर कोई भी जनजागरुकता

अभियान शुरु किया जा रहा है तो पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमें स्थानीय युवाओं को कैसे जोड़ा जाए। दिन के तीसरे सत्र में पर्यावरण समाजशास्त्री डॉ मोहिंदर सलारिया ने कहा कि गांवों में जात-पात, आर्थिक विषमताएं व तमाम सांस्कृतिक भिन्नताओं को मिटाने की भी जरुरत है। इस पहल में शिक्षा के स्तर पर जोर देना होगा। ग्रामीण पुनर्निमाण के लिए युवाओं के शैक्षिक व बौद्धिक स्तर पर कार्य करना बेहद जरुरी है क्योंकि यहीं से समानता का रास्ता निकलेगा। कार्यक्रम में पंजाब नैशनल बैंक, धर्मशाला से आए जितेन्द्र शर्मा ने ग्रामीण विकास में बैंकिंग सेक्टर के योगदान पर बात करते हुए कहा को-ऑपरेटिव सोसायटी और बैंकिंग सिस्टम ने अर्थव्यवस्था में क्रांति पैदा की है।

गांवों का इनसे जुड़ना बदलाव की आहट के तौर पर देखा जाना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक प्रो. मनोज कुमार सक्सेना ने सभी अतिथियों को आभार जताया। कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप नायर, डॉ. रोशन लाल शर्मा, डॉ. आशीष नाग, डॉ. सचिन श्रीवास्तव, प्रकृति भार्गव,डॉ. अनु जी. एस., डॉ हर्ष मिश्रा व डॉ. राम प्रवेश राय मौजूद रहे।

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