आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा

“दीपावली” में लक्ष्मी पूजन करने से पूरे वर्षभर नहीं होती धन्य-धान्य की कमी : आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा

दिवाली पूजा

  • आइये जानें दीपावली का पूजा समय व् पूजा विधि

देशभर में अब दीपावली के आगमन की तैयारियां खूब जोरों पर शुरू हो चुकी है। दीपावली पर लोग घरों में लक्ष्मी पूजन करते हैं। इससे पूरे वर्ष घर में धन्य-धान्य की कमी नहीं होती। इस बार लक्ष्मी पूजन 30 अक्टूबर को पड़ रहा है। लक्ष्मी पूजन को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है। तांत्रिकों के लिए महानिशिता काल में लक्ष्मी पूजन उपयुक्त माना जाता है। इस बार प्रदोष काल 30 अक्टूबर को शाम में 5 बजकर 33 मिनट से 8 बजकर 9 मिनट तक है। अतः कहा जा सकता है इस दीपावली लक्ष्मी पूजन का सबसे उपयुक्त समय 30 अक्टूबर को सायं 5:33 बजे से 9:09 बजे तक है।

किसी भी कार्य या पूजन को शुरू करने से पहिले श्री गणेश का पूजन किया जाता हैं। भगवान गणेश को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष, अक्षत अर्पित करें।

अब देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें। माता लक्ष्मी की चांदी, पारद या स्फटिक की प्रतिमा का पूजन से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है। जिस मूर्ति में माता लक्ष्मी की पूजा की जानी है। उसे अपने

दिवाली रंगोली

दिवाली रंगोली

पूजा घर में स्थान दें। मूर्ति में माता लक्ष्मी आवाहन करें। आवाहन यानी कि बुलाना। माता लक्ष्मी को अपने घर बुलाएं। माता लक्ष्मी को अपने अपने घर में सम्मान सहित स्थान दें। यानी कि आसन दें। अब माता लक्ष्मी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं।

अब माता लक्ष्मी को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें। अब कुमकुम तिलक करें। अब धूप व दीप अर्पित करें। माता लक्ष्मी को गुलाब के फूल विशेष प्रिय है। बिल्वपत्र और बिल्व फल अर्पित करने से भी महालक्ष्मी की प्रसन्नता होती है। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। महालक्ष्मी पूजन के दौरन ’’ऊँ महालक्ष्मयै नमः’’इस मंत्र का जप करते रहें।

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