स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग का "स्वच्छता विद्यालय" कार्यक्रम

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग का “स्वच्छता विद्यालय” कार्यक्रम

  • भारत ने कर लिया देश के सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय की 100 प्रतिशत उपलब्धता का लक्ष्य प्राप्त

 भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2014 को यह घोषणा की कि देश के सभी सरकारी स्कूलों में एक वर्ष के अंदर शौचालय बनेंगे और लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस राष्ट्रीय प्रयास में कारपोरेट क्षेत्र को भी शामिल होने का आह्वान किया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने कारपोरेट समर्थन के लिए सक्रियता से काम किया और ‘स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय’ अभियान लांच किया। स्वच्छ विद्यालय कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान , राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान , स्वच्छ भारत कोष के लिए धन देने वाली केंद्र सरकार , राज्य और केंद्र शासित क्षेत्र तथा 64 सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान और 11 निजी कारपोरेट का सामूहिक कार्यक्रम है।

कार्यक्रम लांच किए जाने के समय सरकारी स्कूलों में संचालित शौचालयों की उपलब्धता की समीक्षा की गई और इस समीक्षा के आधार पर योजना तैयार की गई ताकि प्रत्येक बच्चे के लिए शौचालय की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। एक वर्ष की अवधि में 15 अगस्त 2015 तक 2,61,400 स्कूलों में 4,17,796 शौचालय बने/चालू हुए। इसके साथ ही भारत ने देश के सभी सरकारी स्कूलों में शौचालय की 100 प्रतिशत उपलब्धता का लक्ष्य प्राप्त कर लिया। स्कूलों में शौचालय सुविधा उपलब्ध होने से स्कूलों में स्वच्छता मानक में वृद्धि हुई है और बच्चों के स्वास्थ्य पर सकारात्म प्रभाव हुआ है। इससे स्कूलों में विद्यार्थियों विशेषकर लड़कियों के नामांकन और पढाई में बने रहने की प्रवृत्ति में वृद्धि होगी। वर्ष 2016 के लिए प्रधानमंत्री के उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए ‘ स्वच्छ विद्यालय’ को प्रथमिकता वाले कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी गई।

शौचालय तक 100 प्रतिशत पहुंच के साथ ही अब फोकस का क्षेत्र इन शौचालयों की मरम्मत और रख-रखाव पर है। इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पंचायती राज मंत्रालय और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के साथ इस मामले को राज्यों के समक्ष रखा है ताकि स्कूली शौचालयों के नियमित रख-रखाव तथा स्कूल के ठोस कचरे के प्रबंधन के काम में पंचायतों को शामिल किया जा सके। पंचायती राज मंत्रालय ने सभी राज्यों के पंचायती राज विभागों को सलाह दी है कि वे ग्राम पंचायत विकास योजना में शौचालय निर्माण, पर्याप्त शौचालयों में कमी के अंतर को पाटने, वर्तमान शौचालयों के पुर्नवास और पेयजल , शौचालयों की नियमित मरम्मत और पेयजल प्रणाली को शामिल करें।

वर्ष 2016 के दौरान स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने सरकारी स्कूलों में स्वच्छता और स्वच्छ व्यवहारों को मान्यता देने, प्रेरित करने और उतकृष्टता के लिए स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार का गठन किया। निम्नलिखित क्षेत्रों में स्वच्छ विद्यालय अभियान के मानकों को पूरा करने की दिशा में उठाए गए कदमों के लिए स्कूल पुरस्कृत किए जाएंगेः-

  • जल।
  • स्वच्छता।
  • साबुन से हाथ धोना।
  • संचालन तथा रख-रखाव।
  • व्यवहार परिवर्तन और क्षमता सृजन।
  • राष्ट्रीय स्तर पर 200 स्कूल (प्राथमिक और माध्यमिक स्तर प्रत्येक पर 100) 50.000 रुपये ( अतिरिक्त स्कूल अनुदान के रूप में) का पुरस्कार मान्यता प्रमाण-पत्र के साथ दिया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों के अतिरिक्त राज्य स्तर पर स्कूलों (40 स्कूल) और जिला स्तर पर 48 स्कूलों की पहचान की जाएगी। इन विद्यालयों को मान्यता प्रमाण-पत्र दिए जाएंगे।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 1 सितंबर से 15 सितंबर, 2016 तक स्वच्छता पऱखवाड़ा योजित करने का दायित्व मिला। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने कारगर तरीके से स्वच्छता पखवाड़ा मनाने के लिए सभी प्रयास किए।

सुझाई गई गतिविधियां

  • शिक्षक स्वच्छता विषय पर अभिवावकों की बैठक करेंगे।
  • सभी संस्थानों में शिक्षक स्वच्छता सुविधाओं का निरीक्षण करेंगे और रख-रखाव तथा मरम्मत की योजना तैयार करेंगे।

विभिन्न स्कूलों/सरकारी संस्थानों , केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय, एनआईओएस, एनसीईआरटी तथा जेएसएस और मंत्रालय के परिसर में स्वच्छता पखवाड़ा मनाया गया। स्कूल / संस्थानों ने स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान निमन्लिखित आयोजन किएः-

  • स्कूलों में स्वच्छता अभियान(परिसर, शौचालय आदि)
  • स्वच्छता विषय पर लेख लेखन, पेंटिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन।
  • स्वच्छता विषय पर बैनर प्रदर्शन तथा स्लोगन लेखन।
  • स्वच्छता पर अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम।
  • स्वच्छता शपथ।
  • पुरानी फाइलों को नष्ट करना , टूटे और पुराने फर्निचरों को हटाना या मरम्मत करना आदि।
  • आडियो-विजुअल कार्यक्रमों के माध्यम से स्कूली बच्चों तथा नागरिकों जन-जागृति कार्यक्रम।

मंत्रालय के स्वच्छता कार्यक्रमों के संभावित परिणाम

  • बच्चों, उनके परिवारों और समुदाय के स्वास्थ्य और स्वच्छता व्यवहारों में सुधार।
  • पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति में स्वास्थ्य और साफ-सफाई को शामिल किया जाएगा।
  • बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार , स्कूल नामांकन, उपस्थिति बढ़ाना और स्कूलों में बच्चों विशेषकर लड़कियों की पढाई जारी रखना उद्देश्य है।
  • स्कूल में स्वच्छता स्कूल की पौष्टिकता बढ़ाने में समर्थक।
  • स्वस्थ बच्चे स्कूल गतिविधि में पूरी तरह भाग ले सकते हैं और अधिकतम शिक्षा का लाभ उठा सकते हैं।
  • स्वच्छा को लेकर व्यवहार परिवर्तन।

‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय’ भारत सरकार का प्राथमिक कार्यक्रम है । स्कूल वह इकाई है जहां से स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने के विषय का प्रारंभ होता है।

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