सरकार ने की अगले 20 वर्षों के लिए टिकाऊ शहरी विकास रणनीति पेश

  • पानी एवं बिजली के उपयोग को घटाकर आधा करना, अक्षय ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन, समावेशन इसके प्रमुख तत्व
  • स्थायित्व एवं जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को सुलझाते हुए तीव्र आर्थिक विकास के लिए शहरों पर फोकस
  • एम. वेंकैया नायडू ने पर्यावास तृतीय बैठक से पहले भारत पर्यावास तृतीय-राष्ट्रीय रिपोर्टजारी की
  • नायडू ने कहा, ‘शहरी गरीबों के लिए 10 लाख से भी अधिक घरों को सिर्फ एक साल में मंजूरी दी गई, जबकि इतने ही घरों को जेएनएनयूआरएम के 9 वर्षों की अवधि के दौरान स्‍वीकृति दी गई थी

नई दिल्ली: सरकार ने तीव्र आर्थिक विकास के लिए बढ़ते शहरीकरण के उपयोग को काफी बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से अगले 20 वर्षों के लिए शहरी विकास रणनीति को आज सार्वजनिक कर दिया। इसके साथ ही सरकार ने टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को सुलझाने की प्रतिबद्धता भी व्‍यक्‍त की। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस महीने के उत्‍तरार्द्ध में इक्वाडोर के क्विटो में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास तृतीय सम्मेलन के आयोजन से पहले ‘’भारत पर्यावास तृतीय-राष्ट्रीय रिपोर्टजारी की। संयुक्त राष्ट्र पर्यावास तृतीय सम्मेलन में अगले 20 वर्षों के लिए एक वैश्विक नए शहरी एजेंडे को अपनाया जाएगा।

विश्व पर्यावास दिवस के अवसर पर नायडू ने कहा, ‘देश में त्‍वरित शहरीकरण से हासिल होने वाले आर्थिक विकास से लाभ उठाते हुए टिकाऊ विकास सुनिश्चित करना एक चुनौती है। लंबे समय से शहरीकरण को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के सीमित नजरिए से देखा जाता रहा है। लेकिन हमारी समकालीन अनुक्रिया विस्तृत होगी, जिसका उद्देश्‍य स्थानीय प्राथमिकताओं को पूरा करने के साथ ही वृहद आर्थिक परिवर्तनकारी लक्ष्यों को पाना है। शहरीकरण की क्षमता का पूर्ण दोहन करने के लिए इस पर विशेष जोर देने की जरूरत है।शहरों को कुशल, उत्पादक, समावेशी, सुरक्षित और टिकाऊ बनाने की जरूरत का उल्‍लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय रिपोर्ट में अगले दो दशकों के लिए प्रस्तावित एजेंडे का उद्देश्‍य आर्थिक विकास एवं उत्पादकता सुनिश्चित करना, जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करना, समावेशन, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को सुलझाना होगा।

शहरी भारत में बदलाव लाने की रणनीति पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि उत्पादन के कारकों जैसे कि पूंजी, भूमि एवं श्रम के प्रवाह में बाधक तत्‍वों के उन्मूलन, ‘क्षेत्रीय नियोजन दृष्टिकोणको अपनाते हुए सही तालमेल से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के विकास, सभी को शहरी सेवाएं सुनिश्चित करके समावेशन को बढ़ावा देकर, टिकाऊ शहरी नियोजन, गवर्नेंस में सुधार के लिए नगरपालिकाओं को सशक्त बनाकर, सभी शहरी गरीबों के लिए आवास और सामाजिक न्याय एवं महिला-पुरुष समानता को सुनिश्चित करके इसे हासिल किया जाएगा। नायडू ने कहा कि टिकाऊ शहरी नियोजन पर आधारित नए शहरी एजेंडे के परिणामों में कई चीजें शामिल होंगी। पानी एवं बिजली के उपयोग को घटाकर आधा करना, सार्वजनिक परिवहन के जरिए 60 फीसदी से भी अधिक शहरी यात्रा को सुनिश्चित करना, आधी बिजली को अक्षय स्रोतों से पैदा करना, अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए पैदल चलने एवं साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देना, सघन एवं समू‍हबद्ध शहरी विकास, प्राकृतिक जल निकासी के स्‍वरूप को बढ़ावा देना, सभी प्रकार के कचरे के सृजन को कम करना और हरियाली एवं सार्वजनिक स्थानों को बढ़ावा देना इत्‍यादि इन परिणामों में शामिल होंगे।

इस साल के विश्व पर्यावास दिवस की थीम आवास पर केंद्रित दृष्टिकोणका उल्‍लेख करते हुए नायडू ने कहा कि पिछले साल जून में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के लिए 10,10,424 मकानों के निर्माण को मंजूरी दी गई है, जो वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2014 तक की अवधि में जेएनएनयूआरएम के नौ वर्षों के दौरान स्‍वीकृत किए गए 10.30 लाख घरों के लगभग बराबर है। उन्‍होंने कहा कि 14,955 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता के साथ 59,771 करोड़ रुपये के निवेश को अनुमोदित किया गया है।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *