नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा को लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध

नवरात्रों में सुख-समृद्धि के विशेष योग, 18 साल बाद महासंयोग

  • नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान व कलश स्थापना मुहूर्त: आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा
नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान व कलश स्थापना मुहूर्त: आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा

नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान व कलश स्थापना मुहूर्त: आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा

नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। इस

नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान

नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान

बार नवरात्र 1 अक्टूर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मां दुर्गा की पूजा और आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वे प्रतिपदा और अष्टमी के दिन यानि उठते-चढ़ते नवरात्र का व्रत कर सकते हैं। नवरात्र के अंतिम दिन कन्या पूजन कर मां भगवती को प्रसन्न करना चाहिए। मां दुर्गा की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र 01 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहे हैं । इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन होंगे। इस बार नवरात्र‍ि में 18 साल बाद महासंयोग बन रहा है। 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है। नवरात्र व्रत की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है।

कलश स्थापना मुहूर्त : धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है, इस बार 1 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए विशेष शुभ है। इसके अलावा 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना की जा सकती है।

  • कलश स्थापना की जरूरी पूजन सामग्री

जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी। पात्र में बोने के लिए जौ। कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल। मोली। इत्र। साबुत सुपारी। दूर्वा।

कलश स्थापना की जरूरी पूजन सामग्री

कलश स्थापना की जरूरी पूजन सामग्री

कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के। पंचरत्न। अशोक या आम के 5 पत्ते। कलश ढकने के लिए मिटट् का दीया। ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल। पानी वाला नारियल। नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा।

शारदीय नवरात्र की तिथियां

  •  पहला दिन: 01 अक्टूबर, 2016 इस दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 मिनट तक का है। प्रथम नवरात्र को देवी शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है।
  •  दूसरा दिन: 02 अक्टूबर, 2016 इस वर्ष प्रतिपदा तिथि दो दिन होने की वजह से आज भी देवी शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
  •  तीसरा दिन: 03 अक्टूबर 2016 नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
  •  चौथा दिन: 04 अक्टूबर 2016 तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है।
  •  पांचवा दिन: 05 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है।
  •  छठा दिन: 06 अक्टूबर 2016 पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
  •  सातवां दिन: 07 अक्टूबर 2016 नारदपुराण के अनुसार आश्विन शुक्ल षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
  •  आठवां दिन: 08 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।
  •  नौंवा दिन: 09 अक्टूबर 2016 अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं।
  •  दसवां दिन: 10 अक्टूबर 2016 नवरात्र पर्व की नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।

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