मुख्य सचिव ने किया राज्य स्तरीय एचपीएससीएसटीई व इसरो बैठक का शुभारम्भ

मुख्य सचिव ने किया राज्य स्तरीय एचपीएससीएसटीई व इसरो बैठक का शुभारम्भ

मुख्य सचिव ने किया राज्य स्तरीय एचपीएससीएसटीई व इसरो बैठक का शुभारम्भ

शिमला: हि.प्र. राज्य विज्ञान प्रौद्यागिकी एवं पर्यावरण परिषद के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश सुदूर संवेदन केन्द्र द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के सहयोग से सयुंक्त रूप से आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने कहा कि राज्य के शासन एवं विकास में अंतरिक्ष तकनीकी का प्रोत्साहन एवं उपयोग अनिवार्य है। राज्य के विभिन्न विभागों के साथ आयोजित यह राज्य स्तरीय सम्मेलन 7 सितम्बर, 2015 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन की निरन्तरता में आयोजित किया गया। फारका ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के प्रबन्धन, आपदा प्रबन्धन, विकास योजनाओं तथा शासन प्रणाली में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे कि सुदूर संवदेन, भूगोलीय सूचना प्रणाली, जीपीएस और संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकताओं की जानकारी के लिये यह राज्य स्तरीय सम्मेलन कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन राज्य के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ हासिल करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों को कार्य योजना तैयार करने के लिए अवसर प्रदान करेगा।

फारका ने कहा कि राज्य सरकार नौ वस्तु पर आधारित सामान्तर तकनीकी सत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का भविष्य में उपयोग पर विचार-विमर्श करेगी। इन नौ महत्वपूर्ण विषयों में कृषि, भू-संसाधन योजना, पर्यावरण एवं ऊर्जा, अधोसंरचना योजना, जल संसाधन, स्वास्थ्य व शिक्षा, मौसम एवं आपदा प्रबन्धन, विकासात्मक योजना, तकनीकी विस्तार, संचार एवं नौपरिवहन शामिल हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य योजना एवं विकास प्रक्रिया में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग का दोहन करना, पारिस्थितिकीय संवर्द्धन, बेहतर प्रबन्धन एवं राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। उन्होंने राज्य मिशन एवं योजनाओं की क्षमता, जिनका लक्ष्य अन्न व जल सुरक्षा, ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आजीविका के लिए अधोसंरचना निर्माण को लक्षित किया गया है, में वृद्धि के लिए सम्बन्धित विभागों को एकजुट होकर कार्य करने का आग्रह किया।

फारका ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अवशोषण को बढ़ाने पर बल दिया, जिससे विभागों में बेहतर संस्थागत वृद्धि एवं समावेशन आएगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी राज्य स्तरीय भू-स्थानिक डाटा भंडार एवं विशिष्ट प्रयोज्यता वितरण का निर्माण कर विभिन्न विभागों की सुविधा में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी रिमोट सेंसिंग की सहक्रियता, संचार एवं नौपरिवहन आधारित समाधानों के माध्यम से आपदा प्रबन्धन के उपायों में सुधार लाएगी। उन्होंने भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए विचारों की उत्पत्ति के उद्देश्य से शैक्षिक क्षेत्र तथा अनुसंधान संस्थानों में स्पेस एप्लिकेशनज को बढ़ावा देने पर बल दिया। फारका ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया जाना चाहिए, जहां भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है ताकि राज्य के विभागों अथवा एजेंसियों द्वारा मिल-जुल कर अनुसंधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्पेस एप्लिकेशनेज तथा जीआईएस का पूर्व एवं वर्तमान में उपयोग का विश्लेषण करना अनिवार्य है। सम्मेलन में इसरो तथा एचपीआरएससी के विषय विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी सत्रों के दौरान परिसंवाद किया गया, जिन्होंने विभिन्न विशिष्ट क्षेत्रों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं जीआईएस के उपयोग के सम्बन्ध में सफलता की कहानियां प्रस्तुत की गई।

सम्मेलन में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अपने कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की प्रस्तुतियां दी। अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक, ऊर्जा एवं राजस्व तरूण श्रीधर ने भी अपने विचार रखें।

पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रधान सचिव तरूण कपूर ने हि.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की। इसरो के चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सम्मेलन को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी है तथा राज्य में अनेक अवसरों का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का ‘सेब राज्य होने के नाते राज्य में सेब उत्पादन के अनुश्रवण के लिए क्षेत्र का सही पता लगाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश हिमालय का हिस्सा होने के नाते यहां दुर्गम क्षेत्र एवं कठिन सड़क जुड़ाव है, जिसे आपदा प्रबन्धन एवं इससे निपटने के लिए नक्से पर दर्शाया जा सकता है। किरण कुमार ने आश्वस्त किया कि इसरो हिमाचल प्रदेश को प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाएगा। एनआरएससी हैदराबाद के समूह निदेशक डा. विनोद बोथले ने क्षेत्रीय योजना एवं शासन के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर परिचर्चा की।

एचपीएससीएसटीई के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। हि.प्र. पर्यटन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक तथा सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक दिनेश मल्होत्रा, हिमाचल प्रदेश के लगभग 40 विभाग, राज्य के अन्य संबंधित अधिकारी, विज्ञानिक, इसरो से राष्ट्रीय स्तरीय विशेषज्ञ, भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान व राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केन्द्र के अधिकारी, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य संबंधित हितधारकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।

सम्बंधित समाचार

अपने सुझाव दें

Your email address will not be published. Required fields are marked *