हिमाचल “एचवीआरए एटलस” तैयार करने वाला देश का एकमात्र “हिमालयन राज्य”

  • राज्य सरकार का आपदा प्रबन्धन में राहत केन्द्रित दृष्टिकोण से समग्र दृष्टिकोण में बदलाव
  • आपदाओं ने निपटने के लिए जागरूकता के लिए एचपीएसडीएमए कलेण्डर पंचायतों व स्थानीय निकायों में किया जाएगा वितरित

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि आपदाओं का प्रबन्धन आवश्यक रूप से एक सहयोगी एवं जटिल परिश्रम है, और इसे आपदा जोखिम को कम करने के लिये तैयार की जाने वाली रणनीतियों में स्थानीय समुदायों को ज़रूरी तौर पर शामिल करना चाहिए। मुख्यमंत्री आज यहां आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य प्लेटफॉर्म पर आयोजित प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।   पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों और गैर सरकारी संगठनों को सरकार के आपदा प्रबन्धन प्रयासों में सहयोग होना चाहिए और इसके प्रभाव से शिक्षा लेनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सिस्मिक जोन पांच में आता है, जो भूकम्प और प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं के लिए अतिसंवेदनशील है। उन्होंने बेहतर पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए सयंम व सहयोग की संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता जताई तथा विभिन्न क्षेत्रों में विकास योजनाओं में आपदा प्रबन्धन के लिए अनुकूल उपाय शामिल करने पर भी बल दिया। वीरभद्र सिंह ने कहा कि आपदाएं अचानक आती हैं और जब कभी भी आएं तो हमें इनसे निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक हो जाता है कि आपदा प्रबन्धन तथा इससे निपटने के लिए राज्य सरकार के विभागों, जिला प्रशासन, शिक्षण संस्थानों, आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में कार्य कर रहे सभी अन्य हितधारकों तथा क्षेत्र के विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व कर रहे लोगों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को बधाई देते हुए कहा कि यह मंच विचारों एवं अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए बहुत ही उपयोगी होगा और आपदाओं के बचाव के लिए व्यवस्था का निर्माण व निर्धारण में भी राज्य के लिए बड़ा मददगार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह देखकर प्रसन्नता होती है कि राज्य ने पिछले कुछ वर्षों इन क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास आपदा प्रबन्धन में राहत केन्द्रित दृष्टिकोण से और अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने का है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जोखिम, अतिसंवेदनशीलता तथा जोखिम आकलन एटलस तैयार की है और हिमाचल प्रदेश देश का मात्र राज्य है, जिसने एचवीआरए एटलस तैयार किया है। वीरभद्र सिंह ने हि.प्र. राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की कार्य रिपोर्ट तथा वर्ष 2017 के लिए कलेण्डर भी जारी किया। उन्होंने आपदाओं से निपटने के लिए जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से कलेण्डर को सभी पंचायतों तथा शहरी स्थानीय निकायों में वितरित करने के निर्देश दिए । इस अवसर पर बोलते हुए राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि इस मंच का उद्देश्य आपदा प्रबन्धन के विभिन्न पहलुओं पर बेहतर परस्पर संवाद व इंटरफेस प्रदान करने के लिए ज्ञान अनुसंधान तकनीकों, नई खोज तथा सर्वोत्तम प्रथाओं का सहारा लेना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस मंच में जहां राज्य के विभिन्न भागों से समस्त हितधारक तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधि, स्विस विकास निगम के प्रतिनिधि, यूएनडीपी, सीडज इंडिया शामिल हुए हैं, वे सभी अपने अनुभवों को सांझा करेंगे तथा पूर्व के अनुभवों से सीख, चुनौतियां, जिनका सामना किया गया है तथा भविष्य के लिए कार्य योजनाओं के मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।

राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के सदस्य ले. जनरल (सेवानिवृत्त) एन.सी. मरवाह ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखें तथा ‘सेंडाई फ्रेमवर्क’ के बेहतर कार्यान्वयन के लिए उठाए जाने वाले पगों व आपदाओं को कम करने के बारे में योजनाओं एवं जानकारी को सांझा किया। इससे पूर्व, अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण श्रीधर ने मुख्यमंत्री तथा राजस्व मंत्री का स्वागत किया। उन्होंने आज के विषय पर संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए कहा कि हमारे राज्य ने आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों के दौरान काफी प्रगति की है और हिमाचल प्रदेश ने आपदा जोखिम को कम करने के लिए बहु हितधारक राज्य स्तरीय प्लेटफार्म का गठन किया है।

 

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