दूरवर्ती एवं पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों का होगा औचक निरीक्षण, अध्यापक पाठशाला में उपस्थित हैं या अनुपस्थित

  • सरकार राज्य के सभी क्षेत्रों के समान विकास के लिए प्रतिबद्धः मुख्यमंत्री
  •    शिक्षा विभाग में निरीक्षण निदेशालय का गठन किया जाएगा
  •    विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर 773 करोड़ खर्च
   विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर 773 करोड़ खर्च

विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर 773 करोड़ खर्चपाठशाला में उपस्थित हैं या अनुपस्थित

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज कुल्लू जिले के बंजार में एक विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि रघुनाथ मंदिर किसी की निजी संपत्ति नहीं है और समूची कुल्लू घाटी के लोग इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। यह कुल्लू दशहरे का प्रमुख देवता है और लोगों की इसमें अटूट आस्था है। उन्होंने कहा कि हम सभी कुल्लू राजघराने के शुभचिंतक हैं, लेकिन न्यास का गठन घाटी के लोगों के समग्र हित को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

मुख्यमंत्री ने सलाह देते हुए कहा कि वे स्वयं कभी भी आम आदमी के कंधे पर पालकियों में नहीं बैठे और कूल्लू के राज घराने को भी इसे समझना चाहिए। समय बदल चुका है और हमें बदलते समय का सम्मान करना चाहिए। रघुनाथ मंदिर न्यास का गठन इस लिए किया गया है ताकि मंदिर का उपयुक्त ऑडिट किया जा सके तथा इसकी सुरक्षा एवं उचित रख रखाव सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को वर्तमान में एक छोटे कक्ष में रखा गया है और उनकी ईच्छा है कि भगवान रघुनाथ का एक भव्य मंदिर बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की मंदिर के अधिग्रहण की कोई मंशा नहीं है लेकिन सरकार हमेशा ही मंदिर की मुरम्मत एवं रख रखाव पर पर्याप्त धनराशि खर्च करने के लिए तत्पर है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि सराहन स्थित भीमाकाली मंदिर के वह स्वयं न्यासी और यह उनकी निजी संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि महेश्वर सिंह को भी न्यास बनाने के महत्व को समझना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने राज्य के पुराने मंदिरों, विशेषकर पारम्परिक वास्तुकला से निर्मित मंदिरों के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन हमारे देवी देवताओं के इर्द-गिर्द घूमता है और हर कीमत पर इनके संरक्षण की आवश्यकता है। विकास व संस्कृति एवं परम्पराओं का संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार के पास मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं मुरम्मत के लिए पर्याप्त धनराशि मौजूद है बशर्ते इन्हें पुरानी वास्तुकला से निर्मित किया जाए। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में ‘निरीक्षण निदेशालय’ का गठन किया जा रहा है जो दूरवर्ती एवं पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में औचक निरीक्षण कर यह पता लगाएगा कि अध्यापक पाठशाला में उपस्थित हैं अथवा अनुपस्थित रहते हैं। उन्होंने स्कूलों में ग्रेडिंग प्रणाली का विरोध करते हुए कहा कि अब पांचवी कक्षा से लेकर परीक्षाएं होंगी ताकि विद्यार्थियों को दी जा रही शिक्षा के स्तर का आंकलन किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अवधि के दौरान राज्य में विभिन्न जलापूर्ति योजनाओं पर 773 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गत 45 महिनों के दौरान कुल 6949 अतिरिक्त बस्तियों को ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अन्तर्गत शामिल किया गया है तथा पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 4887 हैंडपंप स्थापित किए गए हैं जबकि 400 करोड़ रुपये व्यय करके 10,586 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान की गई है।

उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सरकारी आदेशों का बिना किसी कोताही व विलम्ब के पालन करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर क्षेत्र विकास के लिए विभिन्न घोषणाएं की जिनमें हिमाचल पथ परिवहन निगम के एक उप डिपो की घोषणा, हि.प्र. लोक निर्माण विभाग मंडल-एक कुल्लू से बंजार के लिए स्थानांतरित करना, भुंतर उपमंडल के स्थान पर बाली चौकी के उप मंडल को मंडल-एक में समायोजित करना शामिल हैं। भूंतर उप मंडल को अब शाट उप मंडल सहित कुल्लू मंडल न. दो में मिलाया जाएगा।

उन्होंने सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंडल दो को शमसी (कुल्लू) को लारजी स्थानंतरित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बंजार में पंचायत भवन के निर्माण की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और हिमाचल ने अस्तित्व में आने के उपरांत बड़ी प्रगति की है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के गठन के समय राज्य में केवल 288 किलोमीटर लम्बी सड़कें थी जो अब 37,000 किलोमीटर हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के गत साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान 1640 किलोमीटर वाहन योग्य सड़कों तथा 160 पुलों का निर्माण किया गया है और 306 अतिरिक्त गावों को सड़कों से जोड़ा गया है। पहले राज्य में केवल 91 स्वास्थ्य संस्थान थे जो अब 3856 हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों विशेषकर स्कूलों का आंकड़ा 15500 को पार कर चुका है और राज्य में 115 से अधिक कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में साक्षरता दर 4.8 प्रतिशत थी, जो अब 88 प्रतिशत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1948 में प्रति व्यक्ति आय केवल 248 रुपये थी जो वर्तमान में 1,30,067 रुपये हो चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के हर क्षेत्र का एक समान विकास करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य की बस्तियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है और राज्य ने इस दिशा में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के लक्ष्य को हासिल कर लिया है, जिसका श्रेय प्रदेश में अधिकतर समय सत्तासीन रही कांग्रेस की सरकारों को जाता है।

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स ने कहा कि राज्य सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान पेयजल आपूर्ति तथा सिंचाई योजनाओं पर 2292 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्र हैंड पंपों की स्थापना पर 35 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। स्टोक्स ने कहा कि राज्य सरकार ने बागवानी क्षेत्र को सुदृढ़ीकरण के लिए 1115 करोड़ रुपये की विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित ‘हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना’ शुरू की है। उन्होंने कहा कि 27.45 करोड़ रुपये की राशि खर्च करके इस अवधि के दौरान 10 विपणन मंडियों/एकत्रीकरण केन्द्रों की स्थापना की गई है। फल फसलों विशेषकर सेब को ओलावृष्टि से बचाने के लिए सरकार ने एंटी हेलनेट पर अनुदान को 80 प्रतिशत तक बढ़ाया है।

आयुर्वेद मंत्री करण सिंह ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने संयुक्त कार्यालय परिसर के लोकार्पण तथा चिर प्रतिक्षित बंजार मल निकासी एवं जलापूर्ति योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बंजार क्षेत्र में वर्तमान में 41.33 करोड़ रुपये की 42 जलापूर्ति योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है और वर्ष 2016-17 तक 26 हैंड पंप स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इन परियोजनाओं के अतिरिक्त 6 करोड़ रुपये की लागत की पांच सिंचाई योजनाओं का कार्य भी प्रगति पर है और इस वित्त वर्ष के दौरान इन योजनाओं पर 1.18 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2016 तक 3582 बस्तियों को पेयजल सुविधा प्रदान की जा चुकी है। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने बंजार में 5.60 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित संयुक्त भवन परिसर का लोकार्पण किया, जिसमें सभी कार्यालय एक छत के नीचे होंगे। इसका निर्माण हिमुडा द्वारा किया गया है। उन्होंने 1.07 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पुलिस स्टेशन कार्यालय भवन का भी लोकार्पण किया।

उन्होंने बंजार शहर के लिए 5.17 करोड़ रुपये की मल निकासी योजना तथा 1.97 करोड़ रुपये की धौडु-रोपा-शराई-तांदी-चेत्थर जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया। इस योजना से 2500 से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी। उन्होंने 2535 की आबादी को लाभान्वित करने वाली 1.06 करोड़ रुपये की लागत से बंजार में नगलाड़ी से गुशैणी जलापूर्ति योजना के स्तरोन्नयन एवं संवर्धन की आधारशिला भी रखी।

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