“रघुनाथ मंदिर” किसी की निजी संपति नहीं : वीरभद्र सिंह

  • रघुनाथ मंदिर न्यास का निर्माण सुरक्षा एवं वित्तीय प्रबन्धन के लिएः मुख्यमंत्री
  • एक सच्चा श्रद्धालु होने के नाते मैंने अनेक अवसरों पर रथ को खींचा हैं तथा स्थानीय देवताओं को ले जाती पालकियों को कंधे पर उठाया : : वीरभद्र सिंह
  • :दशहरा महोत्सव में श्री रघुनाथ ‘रथ यात्रा’ का नेतृत्व करने वाले प्रमुख देवता
  • : सरकार ने मंदिर का नहीं बल्कि इसके प्रबन्धन का किया है अधिग्रहण

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज यहां ओक ओवर में ‘देव संस्कृति चेरिटेबल ट्रस्ट’ के एक प्रतिनिधिमंडल को सम्बोधित करते हुए कहा कि रघुनाथ मंदिर किसी की निजी संपति नहीं है, क्योंकि समूचे कुल्लू दशहरे का आयोजन भगवान रघुनाथ के ईर्द-गिर्द घूमता है और भगवान रघुनाथ कुल्लू घाटी के लोगों का प्रमुख देवता है।

राज्य में मंदिरों के बेहतर प्रबन्धन के लिए अनेक मंदिर न्यासों के निर्माण का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि रघुनाथ मंदिर न्यास का गठन देव समाज के समग्र हितों तथा बेहतर वित्तीय प्रबन्धन के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘यह एक निजी संपत्ति कैसे हो सकती है’, जहां लोगों की खुशियां इससे जुड़ी हैं तथा घाटी के लोगों की उनके प्रधान देवता पर अटूट आस्था है। उन्हांने कहा कि दशहरा महोत्सव में श्री रघुनाथ ‘रथ यात्रा’ का नेतृत्व करने वाले प्रमुख देवता हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मंदिर का नहीं बल्कि इसके प्रबन्धन का अधिग्रहण किया है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि हमने कभी भी अपने आपको देवताओं के समकक्ष मानने की कोशिश नहीं की है। उन्होंने कहा कि हमने लोगों द्वारा उनके कंधों पर उठाई जाने वाली पालकियों में कभी बैठने की कोशिश नहीं की। एक सच्चा श्रद्धालु होने के नाते मैंने अनेक अवसरों पर रथ को खींचा हैं तथा स्थानीय देवताओं को ले जाती पालकियों को कंधे पर उठाया है। रघुनाथ मंदिर न्यास के निर्माण से न केवल मंदिर का सौंदर्यकरण होगा बल्कि इसकी सुरक्षा और बेहतर वित्तीय प्रबन्धन मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर की कारगुजारियों के संचालन के लिये न्यासी होंगे तथा इसका नियमित आडिट किया जाएगा और दान की उपयुक्त रसीदें दी जाएंगी। सरकार का मंदिर की निधि से कोई लेना-देना नहीं है और एकत्रित निधि का प्रयोग मंदिर तथा इसकी कल्याण गतिविधियों पर खर्च किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रघुनाथ मंदिर में दो बार चोरी हो चुकी है तथा इसे उपयुक्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि मूर्ति को एक छोटे व पुराने कक्ष में रखने की बजाए कुल्लू में भगवान रघुनाथ एक भव्य मंदिर हो। वीरभद्र सिंह ने कहा कि मंदिर कुल्लू के राजसी वंशजों की निजी संपत्ति नहीं हो सकती क्योंकि यदि ऐसा होता तो यह समूची कुल्लू घाटी के लोगों की आस्था एवं आराधना का केन्द्र नहीं होता।

मुख्यमंत्री ने कुछ लोगों द्वारा सड़कों एवं बाजारों में देवताओं की पालकियां ले जाने की प्रथा को बंद करने के लिए देव समाज को आगे आने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में कड़ी कार्यवाही की जाएगी, क्योंकि ये वही लोग हैं जो समूची देव संस्कृति को दूषित कर रहे हैं तथा राज्य को भी बदनाम कर रहे हैं। लोगों को देवताओं के नाम पर ऐसे धंधों पर अंकुश लगाने के लिए आगे आना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कुल्लू की देव संस्कृति के अध्ययन एवं अनुसंधान के लिए देव संस्कृति चेरिटेबल ट्रस्ट को पांच करोड़ रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एवं रीति रिवाजों को भावी पीढ़ियों तक ले जाने के लिए अनुसंधान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पीढ़ियां आएंगी और जाएंगी लेकिन संस्कृति और रीति-रिवाज हमेशा कायम रहने चाहिएं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी लोग होने के नाते हमें अपनी भाषा, संस्कृति एवं परम्पराओं के कारण जाना जाता है और हमें इनका हर कीमत पर संरक्षण करना चाहिए।

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