ठियोग-हाटकोटी-खड़ापत्थर सड़क का निर्माण जून 2017 तक पूरा

  • सेब की फसल का मण्डियों में सुचारू विपणन
  • सेब बाहुल्य क्षेत्रों में खोले गए 260 सेब एकत्रण केन्द्र

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में बागवानी की महत्वपूर्ण भूमिका है और प्रदेश सरकार किसानों व बागवानों के हितों को सुरक्षित सुनिश्चित बनाने के लिये संवेदनशील है। यह बात मुख्य संसदीय सचिव एवं जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोहित ठाकुर ने आज यहां एक पत्रकार वार्ता के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस बात को सुनिश्चित बना रही है कि बागवानों के उत्पाद बिना किसी अवरोध के मण्डियों तक पहुंचे। इसके लिये आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की प्रत्येक स्तर पर निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जिले में सेब सीजन सुचारू रूप से चला है और भारी बरसात के बावजूद सेब के विपणन में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हुई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013 से लेकर अभी तक सेब के विपणन कार्य को सुचारू सुनिश्चित बनाया है। वर्ष 2013 के दौरान राज्य में 3.70 करोड़ सेब की पेटियों का उत्पादन हुआ था, वर्ष 2014 के दौरान 3.17 करोड़ जबकि पिछले वर्ष यह उत्पादन 3.88 करोड़ पेटियों का था और इस वर्ष दो करोड़ पेटियों के उत्पादन का विभाग ने अनुमान दिया है। ठाकुर ने कहा कि अभी तक राज्य तथा राज्य से बाहर की मण्डियों में लगभग एक करोड़ सेब की पेटियां भेजी जा चुकी हैं। बेशक इस वर्ष सेब के उत्पादन में थोड़ी कमी है, लेकिन बागवानों को सेब के अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मण्डी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत राज्य के विभिन्न सेबोत्पादन क्षेत्रों में 260 एकत्रिकरण केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है, जिनमें से 85 केन्द्र अकेले जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में खोले गए हैं, जबकि 23 और केन्द्रों की स्थापना किन्नौर तथा ऊंचे क्षेत्रों, जहां सेब की फसल तैयार हो रही है, में शीघ्र ही की जाएगी।

मुख्य संसदीय सचिन ने कहा कि सेब के सुचारू विपणन के लिये ट्रकों की माकूल व्यवस्था की गई है और नित्य प्रति 1500 से 2000 के बीच ट्रकों की आवाजाही शिमला जिले के सेब की ढुलाई के लिये हो रही है। आवश्यक जगहों पर पुलिस जवानों की तैनाती भी की गई है। इसी प्रकार, बागवानों को पैकिंग सामग्री की पर्याप्त आपूति सुनिश्चित बनाई गई है। उन्होंने कहा कि सड़कें सेब विपणन के लिये सर्बाधिक महत्वपूर्ण हैं और राज्य सरकार सड़कों के रखरखाव पर विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान वैकल्पिक सड़क रोहडू-पांवटा की मुरम्मत एवं विस्तार पर 50 करोड़ रुपये जबकि एक अन्य महत्वपूर्ण सड़क नारकण्डा से बागी पर दो करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।

ठियोग-हाटकोटी-खड़ापत्थर सड़क पर पूर्व बागवानी मंत्री के बयान को उन्होंने राजनीति से प्रेरित तथा तथ्यों से परे बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने पांच वर्षों तक इस सड़क को लेकर सिवाए राजनीति के कुछ नहीं किया। पांच वर्षों में केवल 18 प्रतिशत कार्य हुआ। भाजपा ने चीन की कॅंपनी को यह कार्य सौंपा था और कार्य में कोई प्रगति न होने पर दो बार कंपनी को कार्य करने की अवधि बढ़ाई।

मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि हमारी सरकार ने सत्ता में आते ही पुनः इस सड़क का प्राक्कलन तैयार कर धनराशि की स्वीकृति करवाने के बाद फरवरी, 2014 में इसका कार्य आरंभ किया। आज खड़ा पत्थर से रोहडू तक सड़क का 72 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है तथा नवम्बर, 2016 तक 85 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। इसी प्रकार ठियोग से खड़ा पत्थर तक 40 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है। उन्होंने माना कि निहारी से खड़ापत्थर के बीच 12 किलोमीटर सड़क पर कार्य की प्रगति धीमी है। उन्होंने कहा कि इस सड़क की कुल लम्बाई 80 किमी है इसमें से 54 किलोमीटर ब्लैक टॉप हो चुका है जबकि 11 किलोमीटर में टारिंग का कार्य किया जा रहा है तथा नवम्बर माह तक 65 किलोमीटर सड़क पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इस सड़क के निर्माण की निर्धारित समय सीमा 30 जून, 2017 तक हर हालत में इस कार्य को पूरा करेगी। हमारी सरकार ने सी एण्ड सी कंपनी को केवल एक बार कार्य को पूरा करने की अवधि बढ़ाई है।

 

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