शिक्षक दिवस पर 14 अध्यापक सम्मानित

शिक्षक दिवस पर 14 अध्यापक सम्मानित

शिक्षक दिवस पर 14 अध्यापक सम्मानित

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की उपस्थिति में राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस के अवसर पर आज यहां राजभवन में आयोजित एक भव्य समारोह में वर्ष-2016 के लिए 10 अध्यापकों को राज्य पुरस्कारों तथा राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त चार अध्यापकों को सम्मानित किया।

राज्यपाल ने इस अवसर पर भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. एस. राधाकृष्णनन, जिनके जन्मदिवस पर देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि डॉ. राधाकृष्णनन को एक ईमानदार व्यक्तित्व, महान साहित्यकार, शिक्षाविद व एक कुशल प्रशासक के रूप में बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि अध्यापक समुदाय को बच्चों की मनोवृति के बारे में शिक्षित करने के लिए विशेष अभियान आरंभ करने को कहा, ताकि वे बच्चों के प्राकृतिक स्वभाव व विचारों को समझ सके। उन्होंने कहा कि यह गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने की बेहतर प्रक्रिया है और इससे बच्चों की ऊर्जा का सर्वांगीण विकास में बेहतर उपयोग हो सकेगा।

उन्होंने कहा कि भारत महान शिक्षाविदों का देश है, जहां मानव कल्याण के लिए बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने कहा कि एक समय भारत को विश्वभर में शिक्षा के केंद्र के रूप में जाना जाथा और ज्ञान प्राप्ति के लिए विश्वभर के विद्यार्थी भारत आते थे। उन्होंने कहा कि तक्षिला व नालंदा विश्वभर में उच्च अध्ययन के उत्कृष्ट केंद्र थे और हमारी संस्कृति में शिक्षकों को उच्च दर्जा प्राप्त था और इसी कारण उन्हें गुरू की संज्ञा दी गई और भारत को ज्ञान के केंद्र के रूप में देखा जाता था।

राज्यपाल ने कहा कि यदि शिक्षक सक्षम एवं योग्य होगा तो वह विद्यार्थियों में सद्गुणों का संचार कर सकेगा। उन्होंने कहा कि बच्चे विचारशून्य होते हैं और बचपन में जैसा उन्हें ढाला जाए, उसका उनपर आजीवन प्रभाव रहता है। गुरू के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अध्यापकों को अपने जीवन का निर्माण इस प्रकार करना चाहिए कि वे अंधेरे से प्रकाश का मार्ग प्रशस्त कर सकें, इसी कारण उन्हें राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। उन्होंने अध्यापकों से आग्रह किया कि वे अध्यापन व्यवसाय को मिशन के रूप में अपनाएं तथा देश और समाज के लिए समर्पण की भावना से कार्य करें।

उन्होंने कहा कि अध्यापन एक आदर्श व्यवसाय है और अध्यापकों पर समाज के प्रति बड़ी जिम्मेवारी है, क्योंकि अध्यापकों के आचार-व्यवहार, चरित्र व विचारों से विद्यार्थी प्रभावित होते हैं। ऐसे में उन्हें अपने कर्तव्यों का ईमानदारी व समर्पण की भावना से निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने वाले अध्यापकों को बधाई दी तथा अध्यापक समुदाय से भावी पीढ़ियों के प्रति और वचनबद्धता एवं निष्ठापूर्वक कार्य करने का आह्वान किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कांगड़ा जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला देहरा की प्रधानाचार्य पूनम राणा, मंडी जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोट तुंगल की प्रवक्ता वंदना, मंडी जिले के मंडी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (कन्या) के प्रवक्ता डॉ. रमेश शर्मा, शिमला जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रूसलाह के शारीरिक शिक्षा अध्यापक जगदीश सूरी, सिरमौर जिले के राजकीय उच्च पाठशाला शावगा के शारीरिक शिक्षा अध्यापक रणवीर सिंह, सोलन जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सुबाथु के डॉ. दुनी चंद शास्त्री, सोलन जिले के राजकीय प्राथमिक पाठशाला भारती की जेबीटी पार्वती देवी, हमीरपुर जिले के राजकीय प्राथमिक पाठशाला बकरेड़ी के सतीश कुमार, शिमला जिले के बनशेड़ा राजकीय प्राथमिक पाठशाला के संजीव कुमार मेहता तथा ऊना जिले के राजकीय प्राथमिक पाठशाला मेहतपुर के राम कुमार जोशी को राज्य पुरस्कारों से सम्मानित किया।

आचार्य देवव्रत ने वर्ष 2016 के चार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित किया, जिनमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कुठाड के मुख्याध्यापक एवं वर्तमान में सोलन में प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक डा. चंद्रेश्वर शर्मा, ऊना जिले के राजकीय उच्च विद्यालय भलोन के मुख्याध्यापक कश्मीर सिंह, ऊना जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धर्मपुर के स्नातक अध्यापक राम लाल तथा बिलासपुर जिले के राजकीय प्राथमिक पाठशाला घलियां की अध्यापिका संदेश शर्मा शामिल हैं। प्रधान सचिव शिक्षा आर.डी. धीमान ने इस अवसर पर सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा शिक्षा विभाग की विभिन्न गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी।

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