शिमला हुआ शर्मसार… मासूम “युग” को जिन्दा मार आए…फिर हमदर्द बन करते रहे तलाश

  • अब कभी नहीं लौटेगा… माँ का नन्हा “युग”
  • चार साल के “युग” की पैसों के लिए पड़ोसियों ने रची भयंकर साजिश
  • मासूम युग को जिन्दा मार आए गुनाहगार
  • अदालत ने आरोपियों को भेजा आठ सितंबर तक न्यायिक हिरासत

 

अब कभी नहीं लौटेगा... माँ का नन्हा “युग”

अब कभी नहीं लौटेगा… माँ का नन्हा “युग”

 कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के बारे में बूरा होने की कल्पना तक नहीं कर सकते। लेकिन उन माता-पिता का क्या? जिनका मासूम नन्हा बच्चा दरिदों की दरिदंगी का शिकार ऐसा बना कि किसी भी इंसान की रूह सिरह उठे। खुद मासूम युग भी नहीं जानता था कि उसे इतनी यातनाएं और ऐसी मौत क्यों दी जा रही है? वो भी उस हैवान के दवारा जो उनके परिवार का हमराज बनकर जाने कब से पैसों के लालच में अपने साथियों के साथ चार साल के नन्हें मासूम युग के लिए साजिश रच रहा था। तीनों हैवान अच्छे परिवार के होते हुए भी पैसों के इतने लालची निकले कि उन्हें पैसों के आगे न तो युग के माता-पिता के आंसू व तकलीफ नजर आई और न ही रोते-बिलखते मासूम युग की मासूमियत। माता-पिता, दादी, बहनें युग के आने के इंतजार में दो साल से कहीं न कहीं एक उम्मीद में जी रहे थे, लेकिन अंजाम ऐसा सामने आया कि पूरा शहर दहशत में आ गया। क्या उन तीनों गुनाहगारों को चार साल के मासूम बच्चे की सिसकियां, आंसू, चीखें उन सात दिनों में एक बार भी नहीं दिखे जो उसकी जान तक लेने से भी नहीं हिचके। एक नन्हें बच्चे को तडफ़ा-तडफ़ाकर मौत की गोद सुलाकर कैसे ये आरोपी दो साल तक चैन से रात को सो पाए। बच्चे को मारने से पहले रस्सी से पत्थर में बांधते और पानी के गहरे टैंक में फैंकते समय क्यों उनके हाथ नहीं कांपे? बच्चे को दर्दनाक जख्म देते समय क्यों नहीं उनकी रूह कांपी? क्या इंसानियत इतनी मर गई थी कि पैसों के पीछे नन्हें युग की उन्हें मासूमियत नजर नहीं आई? इस हद तक हैवानियत उन पर हावी हो गई कि बच्चे को जिंदा मार दिया और उसके बाद भी माता-पिता से लगातार करोड़ों रूपयों की मांग करते रहे?

शिमला के चर्चित युग अपहरण व हत्याकांड का सीआईडी ने करीब दो साल की जांच के बाद खुलासा किया। युग अपहरण व हत्याकांड में दरिंदगी की जो सच्चाई सामने आई है उससे पूरा शिमला सहम सा गया है। एक और जहां शुरूआती कहानी में शिमला पुलिस की मुस्तैद होने की सारी हकीकत बयां हो गई वहीं हमराज बनकर रची पड़ोसी की सच्चाई ने सबकी रूह को कंपा दिया। शिमला में जून 2014 में आरोपियों ने चार साल के मासूम युग का अपहरण किया और फिर उसके व्यवसायी पिता से करोडों रुपए की फिरौती की मांग की गई। इस सजिश को रचने वाला और कोई नहीं बल्कि युग के पिता के करीबी और जान पहचान वाले थे। अपहरण के बाद मासूम को एक घर में सात दिन तक बंद करके छिपाया गया। तो वहीं उस मासूम को तरह-तरह की कई यातनाएं दी गईं। इस दौरान फिरौती के लिए कई बार पत्र लिखे गए। लेकिन जब बात नहीं बनी तो नन्हें युग को तड़फा-तड़फा कर मार दिया गया। मासूम की हत्या कर उसे शिमला में ही पानी के एक बड़े टैंक में फेंक दिया। अंदेशा यह भी जताया जा रहा है कि मासूम को जिंदा ही टैंक में फेंका गया होगा। बच्चे को मारने के बाद भी आरोपी मासूम के पिता से फिरौती की मांग करते रहे।

  • मां और दादी बेहाल
  • उन जालिमों ने न जाने कैसे तड़पाया होगा मेरे लाल को

दो साल के इंतजार के बाद युग के आने की सारी उम्मीद आखिर टूट गयी। युग के कंकाल मिलने की सूचना के बाद बीते मंगलवार सुबह

गमगीन माहौल देखकर यहां हर किसी की आंख छलक पड़ी

गमगीन माहौल देखकर यहां हर किसी की आंख छलक पड़ी

से ही युग के घर पर ढांढस बंधाने और सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी हुई है। गमगीन माहौल देखकर यहां हर किसी की आंख छलक पड़ी। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि युग की इतनी दर्दनाक हत्या हुई है। युग के परिजन हों या घर पहुंचने वाले रिश्तेदार और लोग, सभी युग के हत्यारों को फांसी से कम सजा नहीं चाहते। अपने दिल के टुकड़े का इंतजार करने वाले माँ ओर पिता पूरी तरह टूट चुके हैं तो वहीं युग की दादी और बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है। दादी घर सांत्वना देने पहुंच रहे लोगों से बार-बार पूछ रही हैं- उस मासूम ने उनका क्या बिगाड़ा था। मेरे बच्चे को कितना तड़फा- तड़फाकर बेहरमी से मारा होगा। खाने को कुछ देते भी थे कि नहीं। ऐसे हैवानों को बख्शा नहीं जाना चहिये जिन्होंने हमारे मासूम नन्हें बच्चे को इतनी निर्दयता से मार दिया।

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